Kanwar Mela 2025: SDRF की पुख्ता तैयारियां, अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होंगी टीमें
SDRF's strong preparations, teams will be equipped with state-of-the-art equipment

हरिद्वार: 11 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा 2025 को लेकर हरिद्वार में तैयारियां जोरों पर हैं। लाखों शिवभक्तों की आमद को देखते हुए राज्य सरकार और प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्थाओं को लेकर व्यापक योजना बनाई है। इस बार राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) अत्याधुनिक तकनीकी उपकरणों से लैस होकर सुरक्षा मोर्चे पर तैनात रहेगी।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा प्राथमिकता
हर साल कांवड़ यात्रा के दौरान गंगा में स्नान के दौरान डूबने की घटनाएं सामने आती हैं। इसे देखते हुए SDRF कमांडेंट अर्पण यदुवंशी ने बताया कि इस बार टीमों को अंडरवॉटर सोनार सिस्टम, अंडरवॉटर ड्रोन और थ्रोबैग जैसे आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित किया गया है। इन तकनीकों से जल में डूब रहे श्रद्धालुओं को तुरंत खोजा और बचाया जा सकेगा।
छह संवेदनशील स्थानों पर तैनाती
हरिद्वार में पिछले अनुभवों को देखते हुए SDRF की टीमें छह प्रमुख घाटों और डेंजर प्वाइंट्स पर तैनात की जा रही हैं, जिनमें कांगड़ा घाट (पूर्वी व पश्चिमी किनारा) और बैरागी कैंप के पास आयरिस पुल शामिल हैं। इन स्थानों पर हर साल रेलिंग पार कर गहरे पानी में जाने की घटनाएं आम हैं, जिससे SDRF की तैनाती और भी जरूरी हो जाती है।
2024 की घटनाएं बनीं सबक
कांवड़ मेला 2024 के दौरान डूबने की 221 घटनाएं दर्ज हुई थीं, जिनमें से SDRF ने 214 श्रद्धालुओं को बचा लिया था। हालांकि, 5 लोगों की डूबने से मौत हो गई थी और 2 लोग अब भी लापता हैं। इसके अलावा 68 लोग यात्रा के दौरान घायल हुए और 10 अन्य की जान दुर्घटनाओं में चली गई। भीड़ में 779 लोग अपने परिवार से बिछड़ गए थे, जिनमें अधिकांश को पुनः मिलाया गया।
सतर्कता की अपील
एसडीआरएफ ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे गंगा में स्नान करते समय रेलिंग पार न करें और सुरक्षा निर्देशों का पालन करें। भीड़ में अनुशासन और सतर्कता ही एक सुरक्षित यात्रा की कुंजी है।
प्रशासनिक समन्वय से व्यवस्था मजबूत
स्वास्थ्य विभाग, पुलिस, नगर निगम और अन्य एजेंसियों के सहयोग से यातायात, चिकित्सा, पेयजल, ठहराव, साफ-सफाई और निगरानी के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। ड्रोन और सीसीटीवी के जरिए मेला क्षेत्र की लगातार निगरानी होगी।
इस बार की कांवड़ यात्रा में SDRF की सक्रियता और तकनीकी संसाधनों की सहायता से सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर उम्मीद की जा रही है कि यह यात्रा श्रद्धालुओं के लिए पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और सुव्यवस्थित होगी।