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मुगल काल को हटाया नहीं गया, केवल दोहराव खत्म किया गया: सुकांत मजूमदार

Mughal era has not been removed, only repetition has been eliminated: Sukanta Majumdar

एनसीईआरटी की किताबों से दोहराव हटाने का दावा

केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि एनसीईआरटी की इतिहास की किताबों से मुगल काल को पूरी तरह हटाया नहीं गया है। उन्होंने कहा कि केवल दोहराव वाली जानकारियों को हटाया गया है ताकि छात्रों को स्पष्ट और संक्षिप्त शिक्षा मिल सके।

मुगल काल को बताया भारतीय इतिहास का हिस्सा

मजूमदार ने कहा कि मुगल शासन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है और उसे पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि इतिहास में सभी युगों को समान महत्व मिलना चाहिए और किसी एक युग को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं पेश किया जाना चाहिए।

पाठ्यक्रम में संतुलन की आवश्यकता पर जोर

अपने बयान में सुकांत मजूमदार ने कहा कि इतिहास लेखन में संतुलन जरूरी है। मुगल काल जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही भारत के प्राचीन स्वर्णिम युग को भी पाठ्यक्रम में प्रमुखता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्रों को एक व्यापक और निष्पक्ष दृष्टिकोण से इतिहास पढ़ाना आवश्यक है।

मुगल शासन को ‘काला अध्याय’ बताया

सुकांत मजूमदार ने मुगल काल को भारतीय इतिहास का ‘काला अध्याय’ करार दिया। उन्होंने कहा कि मुगल शासन अत्याचार और सांस्कृतिक दमन का प्रतीक रहा है, जिसे महिमामंडित करना ऐतिहासिक सच्चाई से भटकने जैसा होगा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का भी समर्थन

बीते सप्ताह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी महाराष्ट्र में एक जनसभा में कहा था कि इतिहास पुस्तकों में औरंगजेब जैसे क्रूर शासक का महिमामंडन नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने चेताया था कि विकृत इतिहास छात्रों के दिमाग में भ्रम पैदा कर सकता है।

नेहरू का हवाला देते हुए औरंगजेब की आलोचना

राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का उल्लेख करते हुए कहा कि नेहरू ने भी औरंगजेब को एक कट्टर और असहिष्णु शासक बताया था। उन्होंने जजिया कर, हिंदू मंदिरों के विध्वंस और सिखों पर अत्याचार का हवाला दिया।

महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर विवाद

हाल ही में महाराष्ट्र के नागपुर में औरंगजेब को लेकर दो समुदायों के बीच झड़प भी हुई थी। इस मुद्दे ने एक बार फिर यह दिखाया कि मुगल शासकों को लेकर आज भी सामाजिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण जारी है।

निष्पक्ष इतिहास शिक्षा की मांग

कुल मिलाकर, सुकांत मजूमदार और राजनाथ सिंह दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय इतिहास को निष्पक्षता के साथ पढ़ाया जाए ताकि नई पीढ़ी को सही और संतुलित जानकारी मिल सके।

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