
हल्द्वानी: उत्तराखंड सरकार ने पुराने सरकारी वाहनों को हटाने के लिए नई स्क्रैप नीति लागू कर दी है। 1 जनवरी 2025 से 15 साल से अधिक पुराने सरकारी वाहन चलन से बाहर हो जाएंगे। इस नीति के तहत 600 से अधिक सरकारी वाहन स्क्रैप किए जाने हैं।
स्क्रैप नीति की मुख्य बातें:
- 15 साल पुराना वाहन स्क्रैप के दायरे में:
सभी 15 साल पुराने सरकारी वाहन कबाड़ की श्रेणी में आएंगे। 31 दिसंबर 2024 तक इन्हें स्क्रैप किया जाना अनिवार्य है। - नए वाहन खरीदने पर छूट:
स्क्रैप किए गए वाहनों के स्थान पर नए वाहन खरीदने के लिए सरकार ने विशेष छूट देने की योजना बनाई है। - नीलामी प्रक्रिया में बदलाव:
पुराने वाहनों की अब सामान्य नीलामी नहीं होगी। केवल रजिस्टर्ड स्क्रैपर्स (कबाड़ी) ही इन वाहनों को परिवहन विभाग की वेबसाइट से नीलामी के माध्यम से खरीद सकेंगे। - विशेष सहायता योजना:
केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत उत्तराखंड को 25 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की है। 31 जनवरी 2025 तक सभी पुराने वाहनों के स्क्रैप का लक्ष्य पूरा करने पर राज्य को अतिरिक्त 25 करोड़ रुपये की सहायता मिलेगी।
स्क्रैप नीति पर अधिकारियों का बयान:
संभागीय परिवहन अधिकारी संदीप सैनी ने बताया कि पुराने वाहनों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा। स्क्रैप नीति का पालन सुनिश्चित करने के लिए सभी विभागों को नोटिस जारी कर दिया गया है।
स्क्रैप नीति के फायदे:
- सड़कों पर प्रदूषण में कमी: पुराने वाहनों के हटने से प्रदूषण में कमी आएगी।
- आधुनिक वाहनों का इस्तेमाल: नई तकनीक वाले कम प्रदूषण करने वाले वाहन उपयोग में आएंगे।
- राजस्व में वृद्धि: नीलामी से राज्य को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।
क्या कहते हैं जानकार:
विशेषज्ञों के अनुसार, यह नीति न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद करेगी, बल्कि सरकारी विभागों को आधुनिक और ईंधन-कुशल वाहनों के उपयोग की दिशा में बढ़ावा भी देगी।
उत्तराखंड की यह स्क्रैप नीति एक महत्वपूर्ण कदम है जो राज्य के परिवहन और पर्यावरण के लिए लाभकारी सिद्ध होगी। सभी विभागों को इस योजना को समय पर पूरा करने का निर्देश दिया गया है।