
देहरादून /उत्तराखंड : उत्तराखंड के चारधाम समेत सभी प्रमुख मंदिरों में अब प्रसाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सैंपलिंग की जाएगी। राज्य के संस्कृति और धार्मिक मामलों के मंत्री सतपाल महाराज ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं।
महाराज का कहना है कि प्रसाद श्रद्धालुओं के लिए न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि उनकी सेहत से भी जुड़ा हुआ है। इसीलिए, यह आवश्यक है कि मंदिरों में वितरित होने वाला प्रसाद उच्च गुणवत्ता वाला और सुरक्षित हो। सैंपलिंग के जरिए प्रसाद में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की शुद्धता और स्वच्छता की जांच की जाएगी, ताकि किसी भी तरह की खाद्य असुरक्षा से बचा जा सके।
सैंपलिंग की प्रक्रिया:
प्रसाद की सैंपलिंग के लिए राज्य स्तर पर एक विशेष टीम का गठन किया जाएगा, जो समय-समय पर विभिन्न मंदिरों में जाकर प्रसाद के नमूनों की जांच करेगी। खाद्य विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर यह टीम सुनिश्चित करेगी कि प्रसाद में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियां स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप हों।
चारधाम यात्रा के लिए विशेष कदम:
चूंकि उत्तराखंड के चारधाम – बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री लाखों श्रद्धालुओं का केंद्र होते हैं, ऐसे में यहां प्रसाद की गुणवत्ता की जांच और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी संख्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सख्त निर्देश जारी किए हैं कि प्रसाद में किसी भी प्रकार की मिलावट न हो और यह पूर्ण रूप से सुरक्षित हो।
श्रद्धालुओं की सेहत प्राथमिकता:
सतपाल महाराज ने कहा, “श्रद्धालुओं की सेहत हमारी प्राथमिकता है। प्रसाद केवल धार्मिक आस्था का विषय नहीं है, बल्कि इसे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य मानकों पर खरा उतरना चाहिए। मंदिर प्रशासन को इस संबंध में जागरूक किया जा रहा है कि प्रसाद की गुणवत्ता से कोई समझौता न हो।”
आगे की कार्रवाई:
प्रसाद की सैंपलिंग के बाद यदि किसी भी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है, तो संबंधित मंदिर प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार का उद्देश्य न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, बल्कि मंदिरों की प्रतिष्ठा को भी बनाए रखना है।
यह कदम राज्य के धार्मिक पर्यटन और श्रद्धालुओं के अनुभव को और भी बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। सतपाल महाराज के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कई धार्मिक संगठनों और श्रद्धालुओं ने इसे एक सकारात्मक और आवश्यक कदम बताया है।