हरिद्वार में सजी कांवड़ बाजार की रौनक, परंपरा और भक्ति का मिला संगम
The gaiety of the Kanwar market in Haridwar, a confluence of tradition and devotion

हरिद्वार: सावन के महीने की शुरुआत के साथ ही कांवड़ यात्रा पूरे जोश और श्रद्धा के साथ शुरू हो गई है। उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों से शिवभक्त हरिद्वार पहुंचकर मां गंगा से जल भरने के लिए आ रहे हैं। इस पवित्र यात्रा के दौरान हरिद्वार में लगा विशेष कांवड़ बाजार इस बार आस्था के साथ-साथ आकर्षण का केंद्र भी बना हुआ है।
बदलते ट्रेंड में पारंपरिक कांवड़ों की बढ़ी मांग
इस बार कांवड़ बाजार में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। पहले जहां डाक कांवड़ की धूम रहती थी, वहीं अब पौराणिक और साधारण कांवड़ें ज्यादा पसंद की जा रही हैं। भोलेनाथ के स्वरूप वाली, बाहुबली शिवलिंग डिज़ाइन, कलश कांवड़ और आदि योगी जैसी थीम पर आधारित कांवड़ें भक्तों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।
कांवड़ों की कीमतें: सादगी से लेकर भव्यता तक
बाजार में कांवड़ों की कीमत उनकी साइज और सजावट के आधार पर तय हो रही है। एक साधारण कांवड़ ₹300 से शुरू होती है, जिसे सजाकर ₹1500-₹2000 तक में बेचा जा रहा है। वहीं भोलेनाथ या बाहुबली डिज़ाइन वाली थीम कांवड़ें ₹5500 से लेकर ₹8000 तक की कीमत पर बिक रही हैं। डाक कांवड़ की बात करें तो यह ₹5000 से शुरू होकर ₹20,000 तक पहुंच रही है।
कलश कांवड़ का बढ़ता आकर्षण
कलश कांवड़ों की खास बात यह है कि भक्त अपनी क्षमता और श्रद्धा के अनुसार उसमें कितने कलश लगाना है, यह तय कर सकते हैं। एक जोड़ी कलश ₹500 से ₹800 में मिलता है और पूरी कांवड़ की कीमत ₹1100 से ₹4500 तक होती है। इस साल विशेष रूप से युवा भक्तों में इसका उत्साह देखा जा रहा है।
श्रृंगार सामग्री की बिक्री भी जोरों पर
भक्त सिर्फ कांवड़ नहीं, बल्कि भगवान शिव की वेशभूषा में खुद को ढालने के लिए भी विशेष सामान खरीद रहे हैं। कांवड़ सजाने के लिए त्रिशूल, डमरू, रुद्राक्ष, लाल-पीले वस्त्र, फूलों की मालाएं, भगवान शिव की मूर्तियां, फोटो और विग आदि सामग्री खूब बिक रही है। इनकी कीमतें ₹100 से शुरू होकर ₹1000 तक जाती हैं।
हरिद्वार बना भक्ति और व्यापार का संगम स्थल
कांवड़ बाजार न केवल श्रद्धालुओं की धार्मिक आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है, बल्कि स्थानीय दुकानदारों के लिए रोज़गार और आमदनी का एक बड़ा माध्यम भी बन गया है। हरिद्वार की सड़कों पर उमड़े श्रद्धालुओं की भीड़, दुकान की सजावट, और शिव नाम के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है।