
देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र इस बार न केवल बजट को लेकर बल्कि विधायकों के अनोखे अंदाजों की वजह से भी चर्चा में रहा। जहां प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा बजट पेश किया गया, वहीं विधायकों की लग्जरी गाड़ियां, खराब होती कारें और अनोखे विरोध प्रदर्शन ने भी सुर्खियां बटोरीं।
विधानसभा में करोड़ों की लग्जरी गाड़ी बनी आकर्षण का केंद्र
उत्तराखंड की राजनीति में बदलाव साफ दिख रहा है। पहले जहां साधारण वेशभूषा में विधायक पहुंचते थे, अब करोड़ों की गाड़ियों में विधानसभा आना नया ट्रेंड बन गया है। इस बार निर्दलीय विधायक उमेश कुमार की करोड़ों की लग्जरी कार ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा। इससे पहले वे गैरसैंण सत्र में हेलीकॉप्टर से पहुंचे थे, और अब उनकी हाई-एंड कार चर्चा में रही।
बीजेपी विधायक की गाड़ी को धक्का लगाना पड़ा
जहां एक तरफ उमेश कुमार की महंगी गाड़ी चर्चा में थी, वहीं एक बीजेपी विधायक की कार ने भी लोगों का ध्यान खींचा, लेकिन गलत वजह से। सत्र के दूसरे दिन रात करीब 10:30 बजे जब कार्यवाही खत्म हुई, तो उनकी गाड़ी विधानसभा परिसर में खराब हो गई। स्टाफ और कर्मचारियों को धक्का मारकर इसे बाहर निकालना पड़ा। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोग इसे मजाकिया अंदाज में देखने लगे।
पूर्व विधायकों पर बयान से बवाल
बीजेपी के वरिष्ठ विधायक बिशन सिंह चुफाल ने पूर्व विधायकों की आर्थिक स्थिति को लेकर एक ऐसा बयान दिया, जिसने सभी को चौंका दिया। उन्होंने कहा, “पूर्व विधायक तो बीड़ी भी मांगकर पी रहे हैं।” उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी और यह चर्चा होने लगी कि क्या सच में पूर्व विधायक इतनी कठिनाइयों में जी रहे हैं, जबकि वर्तमान विधायक ऐशो-आराम की जिंदगी बिता रहे हैं?
जंजीरों में बंधकर पहुंचे कांग्रेस विधायक
विधानसभा सत्र के तीसरे दिन कांग्रेस विधायक भुवन कापड़ी ने अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों के सम्मान की रक्षा को लेकर अनोखा प्रदर्शन किया। वे हाथों और पैरों में जंजीरें बांधकर विधानसभा पहुंचे। कुछ लोगों ने इसे सशक्त विरोध बताया, तो कुछ ने इसे पब्लिसिटी स्टंट करार दिया।
निष्कर्ष
उत्तराखंड विधानसभा का यह सत्र बजट और नीतियों के साथ-साथ दिलचस्प घटनाओं के लिए भी याद रखा जाएगा। जहां एक ओर विधायक महंगी गाड़ियों में पहुंचे, वहीं किसी की कार ने बीच रास्ते में धोखा दे दिया। किसी ने पूर्व विधायकों की दुर्दशा पर सवाल उठाए, तो किसी ने अनोखे अंदाज में विरोध जताया। यह सब बताता है कि उत्तराखंड की राजनीति अब सिर्फ विचारधारा तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें अब स्टाइल और प्रदर्शन भी अहम हो गए हैं।