
नई दिल्ली :( एजेंसी)ओखला WTE प्लांट के आसपास लोग गंभीर बीमारियों के शिकार, 15 साल से साफ हवा के लिए लड़ रहे लड़ाई, अब मिलेगी राहत अपनी कब्र खुद खोद रही दिल्ली! कचरे से एनर्जी प्लांट पर NYT की रिपोर्ट में सामने आई होश उड़ाने वाली हकीकत दिल्ली के ओखला में स्थित वेस्ट टु एनर्जी प्लांट के कारण स्थानीय निवासियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। प्लांट से निकलने वाले धुएं में मौजूद हानिकारक धातुएं कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बन रही हैं। निवासियों को सांस लेने में तकलीफ, एलर्जी और फेफड़ों की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।
*ओखला में बने वेस्ट टु एनर्जी प्लांट से निकलने वाले धुएं के लोग हो रहे बीमार
*प्लांट से निकलने वाले धुएं से लोग सांस की बीमारियों और एलर्जी से पीड़ित हो रहे
*इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी, लोगों को कोर्ट से राहत की उम्मीद
‘सालों पहले छेड़ी लड़ाई, नहीं मिली राहत इस मुहिम से जुड़े एक्टिविस्ट ईश्वरनगर कॉलोनी निवासी अनंत त्रिवेदी कहा कि यह मामला सालों पुराना है, लेकिन किसी का इस ओर ध्यान नहीं गया, जब एक सर्वे रिपोर्ट को छापा तो हाय तौबा मची हुई है। सच तो यह है कि सालों पुरानी समस्या है, सरकार तक बात पहुंच जाती है, लेकिन सुनवाई नहीं होती है। अभी भी पल्यूशन को लेकर ग्रैप लागू हुआ है, यह ग्रैप इस प्लांट पर लागू नहीं होता है? प्लांट चलता जा रहा है, इसे बंद करने वाला कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि वेस्ट टु एनर्जी प्लांट की वजह से गफ्फार मंजिल, शाहीन बाग, हाजी कॉलोनी, सुखदेव विहार, डीडीए फ्लैट से आसपास रहने वाले लोग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
क्योंकि इस प्लांट से निकलने वाला धुआं, लोगों के फेफड़े को खराब कर रहा है, लेकिन लोग इसकी वजह से अस्थमा की चपेट में आ गए। अनंत बताते हैं कि प्लांट लगने से पहले ही 2008 में इसके खिलाफ लड़ाई छेड़ दी। करीब 2009 में इसके खिलाफ हाई कोर्ट की शरण गए हैं। चार साल तक यहां चला केस। उसके केस एनजीटी के पास गया। फिर भी कोई राहत नहीं मिली। इसको लेकर हर दल के प्रमुख नेताओं मुलाकात की गई है। इसके बाद 2017 से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। लेकिन अब तक उन्हें कोई राहत नहीं मिली।हम तो यहीं रह रहे हैं। जन्म से ही हम इन हवाओं में सांस लेने को मजबूर हैं।
हमारी आदत हो गई है। लेकिन, जो लोग यहां पहली बार आते हैं, वो कुछ दिन भी झेल नहीं पाते हैं। सांस की बीमारी तो हर घर में है।’ यह दर्द है जामिया नगर स्थित हाजी कॉलोनी के लोगों का। ओखला में बने वेस्ट टु एनर्जी प्लांट से निकलने वाले मेटल कैडियम, लेड और आर्सेनिक से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लोग जूझ रहे हैं, जिसे जिसे एक रिपोर्ट ने दुनिया के सामने ला दिया है।दरअसल, ओखला में बने वेस्ट टु एनर्जी प्लांट में कूड़ा जलाकर बिजली पैदा करने की तकनीक पर काम चल रहा है जो स्थानीय लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य संकट पैदा कर दिया है। यह समस्या लगभग एक दशक से है,
मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इस प्लांट के खिलाफ जारी मुहिम से जुड़े लोगों का कहना है कि वेस्ट टु एनर्जी प्लांट यहां रहने वालों लाखों के जीवन पर भारी पड़ रहा है। इस प्लांट से निकलने वाले धुएं की वजह से आसपास के इलाकों में हवा दूषित हो रही है, जो बच्चे, बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि युवाओं के फेफड़ों को भी खराब कर रही है, जिससे लोग कम आयु में ही अस्थमा जैसी बीमारी के गिरफ्त में आ गए।
खुद सांस और एलर्जी की गिरफ्त में
हाजी कॉलोनी में एक क्लिनिक चलाने वाले डॉ जुबैर आलम अंसारी ने बताया कि प्लांट की वजह से यहां लोगों को सांस लेना दूभर हो गया है। 50 वर्षीय डॉ. जुबैर बताते हैं कि ज्यादातर यहां बुखार, जुकाम, सांस फूलने की दिक्कत और एलर्जी जैसे गले, आंख और स्किन के मरीज आते हैं। इसका कारण दूषित हवा ही है। डॉ. जुबैर ने बताया कि दिन प्रतिदिन यहां रहना मुश्किल होता जा रहा है। पहले मुझे सांस या फिर किसी प्रकार की एलर्जी नहीं होती थी, लेकिन पिछले एक में मुझे भी यह दिक्कत होने लगी है। यहां हर उम्र के लोग दूषित हवा की वजह से अलग-अलग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। डॉ जुबैर ने भी मांग की है इस प्लांट को यहां से हटना चाहिए।
शाम के वक्त बढ़ जाती है बदबू
वेस्ट टु एनर्जी प्लांट से सबसे नजदीकी हाजी कॉलोनी है। यह कोई बड़ी कॉलोनी नहीं है, लेकिन यहां आपको मेडिकल स्टोर, क्लिनिक आसपास ही दिख जाएंगे। स्थानीय निवासी ने बताया कि कई साल से इस दूषित हवा में ही जा रहे हैं। कई लोगों को सांस की बीमारी हो गई है। लेकिन अब हमें इसके आदी हो गए हैं। शाम के वक्त बदबू बढ़ जाती है, लेकिन दिन में पता नहीं चलता है। हालांकि, बाहर से आने वाले लोगों को तुरंत इसका असर हो जाता है। वहीं, इस कॉलोनी में मेडिकल स्टोर चलाने वाले एक शख्स ने बताया कि वैसे तो यहां बीपी, शुगर की ज्यादा दवाएं बिकती हैं। साथ ही सांस फूलना, खांसी, गले, आंख में एलर्जी की भी दवाएं लोग ले जाते हैं।