Global Tiger Day 2025: कॉर्बेट बना बाघ संरक्षण का उदाहरण, जंगल, जैव विविधता और रोजगार में दिखी मजबूती
Corbett becomes an example of tiger conservation, strength seen in forests, biodiversity and employment

हर साल 29 जुलाई को मनाया जाने वाला ग्लोबल टाइगर डे सिर्फ बाघों के संरक्षण का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह प्रकृति, पर्यटन और स्थानीय आजीविका से जुड़ा व्यापक संदेश भी देता है। उत्तराखंड का कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) इस दिशा में एक रोल मॉडल बनकर उभरा है। यहां न केवल बाघों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है, बल्कि स्थानीय लोगों की अर्थव्यवस्था भी बेहतर हुई है।
2010 में हुई थी अंतरराष्ट्रीय पहल की शुरुआत
इस विशेष दिवस की शुरुआत 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित टाइगर समिट से हुई थी, जिसमें 13 टाइगर रेंज देशों ने 2022 तक वैश्विक बाघ आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया था। भारत ने यह लक्ष्य समय से पहले ही हासिल कर लिया और अब विश्व के कुल बाघों का 75% भारत में ही हैं। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व इसमें अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
बढ़ती बाघ आबादी की कहानी
कॉर्बेट में वर्ष 2006 में लगभग 150 बाघ थे, जो 2010 में 184 हुए। 2014 में इनकी संख्या 215 और 2019 में 250 से अधिक पहुंच गई। वर्ष 2021-22 में बाघों की संख्या 260 के पार पहुंच चुकी है और नवीनतम रिपोर्ट आने के बाद यह आंकड़ा 300 को पार कर सकता है।
जैव विविधता में जबरदस्त वृद्धि
कॉर्बेट सिर्फ बाघों का घर नहीं है, बल्कि यह एक जैविक हॉटस्पॉट भी बन चुका है। यहां 500 से अधिक पक्षियों, 150+ तितलियों और 110 से ज्यादा पेड़ों की प्रजातियां हैं। इसके अलावा हाथी, तेंदुए और अन्य वन्य जीव भी यहां की पारिस्थितिकी को समृद्ध बनाते हैं, जिससे यह क्षेत्र विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है।
पर्यटन से मिला रोजगार
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के चलते लगभग 20,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। क्षेत्र में 300 से अधिक रिसॉर्ट्स और होमस्टे, 1,000 गाइड, 300 सफारी जिप्सी, और 500 से अधिक महिलाओं की आजीविका इससे जुड़ी है। यह स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार का सशक्त माध्यम बन गया है।
जनसहभागिता और चुनौतियां
वन्यजीव प्रेमियों और स्थानीय गाइड्स का मानना है कि बाघों की सुरक्षा केवल सरकारी प्रयास नहीं बल्कि सामुदायिक सहयोग का भी परिणाम है। हालांकि, मानव-बाघ संघर्ष जैसी चुनौतियां भी सामने आती हैं, जिन्हें संतुलित नीति के जरिए हल करना जरूरी है।
प्राकृतिक संतुलन का संदेश
कॉर्बेट के निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने कहा कि टाइगर डे केवल एक दिन नहीं, बल्कि प्रकृति और विकास के बीच सामंजस्य का प्रतीक है। कॉर्बेट ने यह साबित कर दिया है कि सही रणनीति से संरक्षण और विकास साथ-साथ संभव हैं।