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अंगकोरवाट: दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर, जो इतिहास और वास्तुकला का अद्भुत संगम है

Angkor Wat: The world's largest Hindu temple, a wonderful amalgamation of history and architecture

नई दिल्ली: भारत में कई विशाल और भव्य मंदिर हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर कंबोडिया में स्थित है? इसे अंगकोरवाट के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर अपनी भव्यता, ऐतिहासिक महत्व और अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।

अंगकोरवाट: हिंदू संस्कृति की अनमोल धरोहर

अंगकोरवाट मंदिर कंबोडिया के अंगकोर्योम शहर में स्थित है, जिसे प्राचीन काल में यशोधरपुर कहा जाता था। यह विशाल मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में कंबुज के राजा सूर्यवर्मा द्वितीय ने करवाया था।

इस मंदिर की सबसे अनोखी विशेषताओं में से एक इसके चारों ओर बनी गहरी खाई है, जिसकी लंबाई ढाई मील और चौड़ाई 650 फीट है। इस खाई को पार करने के लिए पत्थरों का एक मजबूत पुल बनाया गया है।

162 हेक्टेयर में फैला भव्य मंदिर

अंगकोरवाट दुनिया के सबसे आश्चर्यजनक धार्मिक स्मारकों में से एक है। यह 162 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है, जो इसे विश्व का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बनाता है। इस मंदिर को हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान में मेरु पर्वत का प्रतीक मानकर डिजाइन किया गया था।

इसकी वास्तुकला अद्भुत है। मंदिर में एक केंद्रीय मीनार है, जो चारों ओर से छोटी मीनारों से घिरी हुई है। ये सभी मीनारें दीर्घाओं और दीवारों से जुड़ी हुई हैं, जिनमें जटिल नक्काशी उकेरी गई है। ये नक्काशी हिंदू पौराणिक कथाओं और खमेर राजाओं के कारनामों की कहानियां दर्शाती हैं।

अंगकोरवाट: कंबोडिया का गौरव और राष्ट्रीय प्रतीक

अंगकोरवाट न केवल अपनी वास्तुकला की सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह कंबोडिया की संस्कृति और इतिहास का भी अहम हिस्सा है। इसे कंबोडिया के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में जाना जाता है और इसे कंबोडियाई ध्वज पर भी चित्रित किया गया है।

मूल रूप से भगवान विष्णु को समर्पित इस हिंदू मंदिर को समय के साथ बौद्ध धर्म से जोड़ दिया गया और यह धीरे-धीरे एक बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया।

खगोलीय सटीकता का चमत्कार

अंगकोरवाट को खगोलीय दृष्टि से भी बेहद सटीक रूप से निर्मित किया गया है। माना जाता है कि इस मंदिर को सूर्य के साथ इस तरह संरेखित किया गया है कि विषुव के दिन, उगता हुआ सूरज मंदिर के केंद्रीय टॉवर के बीच से पूरी तरह से चमकता है, जिससे एक अद्भुत दृश्य उत्पन्न होता है।

अद्वितीय नक्काशी और ऐतिहासिक घटनाओं का जीवंत चित्रण

इस मंदिर की सबसे दिलचस्प विशेषताओं में से एक इसकी बेस-रिलीफ की श्रृंखला है, जो 800 मीटर से अधिक दीवार क्षेत्र को कवर करती है। इन नक्काशियों में महाभारत, रामायण और अन्य हिंदू महाकाव्यों के दृश्यों को चित्रित किया गया है। इसके अलावा, ऐतिहासिक युद्धों और महत्वपूर्ण घटनाओं को भी बारीकी से उकेरा गया है।

अंगकोरवाट: दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र

युद्धों और प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद, अंगकोरवाट बेहद अच्छी स्थिति में संरक्षित है। सरकारी स्वामित्व वाली अंगकोर एंटरप्राइज के अनुसार, 2024 में इस मंदिर ने 1.02 मिलियन अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित किया, जिससे 47.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर का राजस्व प्राप्त हुआ।

यह मंदिर 2024 में एशिया में सबसे फोटोजेनिक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी चुना गया।

अंगकोरवाट सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और वास्तुकला का एक अमूल्य खजाना है, जो सदियों से दुनिया भर के पर्यटकों और इतिहासकारों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।

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