उत्तराखंड

अल्मोड़ा में मां नंदा देवी मेला 28 अगस्त से, भक्ति और संस्कृति का भव्य संगम

Maa Nanda Devi Fair in Almora from 28th August, a grand confluence of devotion and culture

अल्मोड़ा: सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा एक बार फिर मां नंदा देवी की भक्ति और लोक परंपराओं के रंग में रंगने जा रही है। आगामी 28 अगस्त से 3 सितंबर तक नंदा देवी मेला आयोजित होगा। मंदिर समिति ने इसकी तैयारियां पूरी कर ली हैं। इस बार मेला केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर और पर्यटन को भी बढ़ावा देने का माध्यम बनेगा।

मुख्यमंत्री करेंगे उद्घाटन

मंदिर समिति के अध्यक्ष मनोज वर्मा ने बताया कि मेले का उद्घाटन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे। इसके अलावा केंद्रीय राज्य मंत्री और स्थानीय सांसद अजय टम्टा तथा विधायक मनोज तिवारी भी विशेष अतिथि रहेंगे। समिति ने इस बार मेले को और भव्य बनाने का लक्ष्य रखा है।

कई स्थानों पर होंगे आयोजन

नंदा देवी मंदिर परिसर के साथ-साथ इस बार मेले के प्रमुख कार्यक्रम एडम्स इंटर कॉलेज मैदान, मल्ला महल और मुरली मनोहर मंदिर में भी आयोजित होंगे। समिति का मानना है कि इससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों को विविध सांस्कृतिक अनुभव मिलेंगे। साथ ही, समिति ने पहले ही 2026 में होने वाले नंदा राजजात महोत्सव की तैयारियों की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।

संस्कृति और परंपरा का प्रदर्शन

मेला उत्तराखंड की लोकसंस्कृति का जीवंत प्रदर्शन करेगा। पारंपरिक नृत्य जैसे झोड़ा, चांचरी, भगनौल और छपेली स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए जाएंगे। राज्य के लोक गायक अपनी मधुर धुनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे। खासतौर पर महिलाओं की सक्रिय भागीदारी पर जोर दिया जा रहा है ताकि आने वाली पीढ़ी भी अपनी जड़ों से जुड़ी रहे।

कदली वृक्ष से मूर्ति निर्माण

इस बार मां नंदा और सुनंदा की प्रतिमाएं बनाने के लिए कदली वृक्ष रैलाकोट स्थित दुला गांव से लाए जाएंगे। 29 अगस्त को इन्हें विशेष शोभायात्रा के साथ लाया जाएगा और फिर मंदिर परिसर में प्रतिमाओं का निर्माण होगा। इसके बाद श्रद्धालु लगातार 3 सितंबर तक मूर्तियों के दर्शन कर सकेंगे।

नंदा अष्टमी और भव्य शोभायात्रा

नंदा अष्टमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान होंगे। 3 सितंबर को मेला अपने चरम पर पहुंचेगा जब मां नंदा और सुनंदा की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा बाजार मार्ग होते हुए तल्ला महल और फिर दुगालखोला स्थित नौले पहुंचेगी, जहां प्रतिमाओं का विसर्जन कर मेले का समापन होगा।

स्थानीय समुदाय और पर्यटन को प्रोत्साहन

इस आयोजन में स्थानीय समुदाय की अहम भूमिका रहेगी। महिलाएं, युवा और संस्थाएं सजावट, पारंपरिक गीत-नृत्य और व्यवस्थाओं में योगदान देंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मेला न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करेगा बल्कि सांस्कृतिक पर्यटन और स्थानीय व्यापार को भी बढ़ावा देगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button