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Historical importance of November: उत्तराखंड के संघर्ष की कहानी और भारतीय राज्यों का गठन माह

Story of Uttarakhand's struggle and formation month of Indian states

देहरादून: नवंबर का महीना भारतीय इतिहास में राज्य गठन के लिए विशेष महत्व रखता है। इसी महीने 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड का गठन हुआ था, जो कि भारतीय राज्य निर्माण के इतिहास में एक अहम अध्याय है। इस महीने में कुल 9 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों का गठन हुआ, जिससे इसे राज्य गठन माह भी कहा जाता है। उत्तराखंड, जिसे पहले उत्तर प्रदेश का हिस्सा माना जाता था, नवंबर 2000 में एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। स्थापना के समय इसका नाम उत्तरांचल रखा गया था, लेकिन 2007 में इसे बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।

विकास की उपेक्षा और अलग राज्य की मांग

उत्तराखंड का पहाड़ी इलाका उत्तर प्रदेश का हिस्सा था, लेकिन विकास की योजनाएं यहां तक पहुंचने में नाकाम थीं। तत्कालीन यूपी के लिए यह क्षेत्र अक्सर पिकनिक स्पॉट जैसा बन गया था। स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, और कृषि जैसे बुनियादी सेवाएं यहां के लोगों के लिए दूर की चीज बन चुकी थीं। यही कारण था कि यहां के लोग धीरे-धीरे एक अलग राज्य की मांग को लेकर जागरूक हुए।

उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने की मांग पहली बार 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक विशेष सत्र में श्रीनगर में उठाई गई थी। इसके बाद, आजादी के बाद भी मांग जारी रही, लेकिन 90 के दशक में यह एक व्यापक जन आंदोलन का रूप ले चुकी थी। 1994 में आंदोलन ने अभूतपूर्व ताकत हासिल की, जिसमें हर वर्ग और समुदाय के लोग शामिल हुए।

राज्य आंदोलन के शहीदों का संघर्ष

उत्तराखंड राज्य आंदोलन का सबसे कठिन समय 1994 का था। इस समय आंदोलन व्यापक रूप से उत्तराखंड के सभी हिस्सों में फैल चुका था। पुलिसिया दमन और अत्याचार का सामना करते हुए, आंदोलन में 42 लोगों ने अपनी शहादत दी। खटीमा और मसूरी गोलीकांड में राज्य आंदोलनकारियों पर पुलिस की ओर से की गई गोलाबारी और हिंसा ने आंदोलनकारियों को और भी संगठित कर दिया। 1 सितंबर 1994 को खटीमा में पुलिस ने सात आंदोलनकारियों की जान ले ली, और इसके अगले ही दिन मसूरी में भी 6 लोग पुलिस फायरिंग में शहीद हो गए।

मुजफ्फरनगर का रामपुर तिराहा कांड उत्तराखंड आंदोलन का सबसे काला अध्याय था। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन दिल्ली जाने वाले आंदोलनकारियों को पुलिस ने रोक दिया और रात में पुलिस द्वारा अत्याचार की हदें पार कर दी गईं। इस घटना में 7 महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ, 17 महिलाओं के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ और 6 आंदोलनकारियों की जान गई। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया और आंदोलनकारियों की मांग को राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिला।

केंद्र सरकार की घोषणा और उत्तराखंड का निर्माण

उत्तराखंड आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और अत्याचार से राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ता गया। 15 अगस्त 1996 को तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने लाल किले से अलग उत्तराखंड राज्य की घोषणा की, हालांकि तत्कालीन सरकार इसे लागू नहीं कर पाई। अंततः जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनी, तो तीन राज्यों का निर्माण किया गया। 1 नवंबर को छत्तीसगढ़, 9 नवंबर को उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तरांचल), और 15 नवंबर को झारखंड का गठन हुआ।

नवंबर का महीना और अन्य राज्य गठन की कहानियां

नवंबर का महीना भारतीय इतिहास में राज्य गठन के लिए मशहूर है। 1 नवंबर को ही 7 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों की स्थापना हुई। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, केरल, और मध्य प्रदेश शामिल हैं, जबकि लक्षद्वीप और पुडुचेरी के केंद्र शासित प्रदेश भी इसी दिन बनाए गए। इस तरह, नवंबर का महीना राज्य गठन और प्रशासनिक पुनर्गठन के लिए महत्वपूर्ण हो गया।

सीएम पुष्कर सिंह धामी का शुभकामना संदेश

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नवंबर के स्थापना दिवस पर उत्तराखंडवासियों और अन्य राज्यों के नागरिकों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, और मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस पर सभी को बधाई दी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सभी राज्यों की प्रगति और समृद्धि की कामना की।

आज के उत्तराखंड के सामने चुनौतियां और उम्मीदें

उत्तराखंड का निर्माण एक लंबी और कठिन यात्रा का परिणाम है। राज्य आंदोलन के शहीदों के बलिदान और जनता की आकांक्षाओं से बने उत्तराखंड के सामने आज भी कई चुनौतियां हैं, लेकिन इस यात्रा ने प्रदेश को एक नई दिशा दी है। अब उत्तराखंड अपने पर्यटन, सांस्कृतिक विरासत, और शैक्षिक संस्थानों के लिए जाना जाता है। नवंबर का यह ऐतिहासिक महीना उत्तराखंडवासियों को उस संघर्ष की याद दिलाता है, जिसने उन्हें अपने सपनों का राज्य दिया।

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