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पीएम मोदी का एशिया दौरा, जापान से चीन तक कूटनीतिक व्यस्तता

PM Modi's Asia tour, diplomatic engagements from Japan to China

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार शाम जापान की यात्रा पर रवाना होंगे, जहां वे 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह उनकी प्रधानमंत्री बनने के बाद जापान की आठवीं यात्रा होगी। इस दौरान मोदी जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा से पहली बार आमने-सामने शिखर वार्ता करेंगे। यह मुलाकात दोनों देशों की विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को नई गति देने के लिहाज से अहम मानी जा रही है।

भारत-जापान संबंधों पर फोकस

विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच रक्षा और सुरक्षा, व्यापार, अर्थव्यवस्था, तकनीकी सहयोग, नवाचार और लोगों के बीच आपसी आदान-प्रदान जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी। इसके साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक हालात, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा चुनौतियां भी एजेंडे में होंगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत-जापान संबंधों में आर्थिक सहयोग और तकनीकी साझेदारी आने वाले वर्षों में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

SCO शिखर सम्मेलन में शिरकत

जापान यात्रा के बाद प्रधानमंत्री मोदी चीन जाएंगे। 31 अगस्त से 1 सितंबर तक वे तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह यात्रा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आमंत्रण पर हो रही है। सम्मेलन के इतर मोदी की मुलाकात कई अन्य देशों के नेताओं से भी तय मानी जा रही है। यह मंच क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद से मुकाबला, ऊर्जा सहयोग और व्यापार जैसे मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण बनाने में अहम साबित होगा।

भारत-चीन संबंधों की पृष्ठभूमि

भारत और चीन के बीच हाल के वर्षों में तनावपूर्ण रिश्तों के बावजूद दोनों देशों ने संवाद बनाए रखा है। पिछले साल अक्टूबर में दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी, जिसके बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य गतिरोध को सुलझाने की दिशा में प्रगति दर्ज की गई। इस वर्ष विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चीन यात्रा और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से उनकी मुलाकात को भी रिश्तों में संतुलन लाने की कोशिश के रूप में देखा गया।

हालिया कूटनीतिक पहलें

इसी क्रम में कुछ सप्ताह पहले चीनी विदेश मंत्री वांग यी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की बातचीत भी महत्वपूर्ण रही। इस दौरान दोनों देशों ने सीधी हवाई सेवाएं बहाल करने समेत कई ठोस पहल पर सहमति जताई। विशेषज्ञ मानते हैं कि SCO सम्मेलन के दौरान मोदी-जिनपिंग मुलाकात से रिश्तों में और प्रगति संभव है।

रणनीतिक महत्व

विश्लेषकों का कहना है कि मोदी का यह दौरा एशिया की बदलती भू-राजनीति के बीच भारत की कूटनीतिक सक्रियता को दर्शाता है। जापान और चीन दोनों ही भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण साझेदार हैं। एक ओर जापान के साथ भारत उच्च-तकनीकी और आर्थिक सहयोग बढ़ाना चाहता है, वहीं चीन के साथ शांति और स्थिरता बनाए रखना उसकी प्राथमिकता है।

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