
चमोली/देहरादून: उत्तराखंड की चारधाम यात्रा को और अधिक सुगम और सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक और कदम उठाया गया है। चमोली जिले में स्थित पवित्र बदरीनाथ धाम में अब तीर्थयात्रियों से फास्टैग के माध्यम से ईको पर्यटन शुल्क वसूला जाएगा। नगर पंचायत बदरीनाथ ने इस नई प्रणाली को गुरुवार से लागू कर दिया है, जिसका उद्घाटन जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने वर्चुअल माध्यम से किया।
बढ़ती तीर्थयात्री संख्या के चलते बदरीनाथ में हर वर्ष वाहनों की लंबी कतारें और ट्रैफिक जाम की समस्या सामने आती है। ईको टूरिज्म शुल्क अब तक नकद या क्यूआर कोड से वसूला जाता था, जिससे यात्रियों को काफी असुविधा होती थी। इस समस्या के समाधान के लिए अब शुल्क का भुगतान सीधे वाहनों में लगे फास्टैग से किया जाएगा।
देश का सबसे ऊंचा फास्टैग सिस्टम
बदरीनाथ नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी सुनील पुरोहित ने बताया कि यह देश का सबसे ऊंचाई पर संचालित होने वाला फास्टैग भुगतान केंद्र है। यह सेवा पार्क प्लस कंपनी के तकनीकी सहयोग से शुरू की गई है। इसका उद्देश्य है कि बदरीनाथ धाम की ओर आने वाले तीर्थयात्रियों को प्रवेश द्वार पर रोके बिना सहजता से शुल्क वसूला जा सके और ट्रैफिक बाधित न हो।
ईको टूरिज्म शुल्क की दरें
नगर पंचायत द्वारा जारी दरों के अनुसार, चारधाम यात्रा के दौरान बदरीनाथ धाम में प्रवेश करने वाले वाहनों से एक बार का ईको पर्यटन शुल्क लिया जाता है:
- फोर व्हीलर वाहन – ₹60
- टेम्पो ट्रैवलर/मिनी बस – ₹100
- बस – ₹120
- हेलीकॉप्टर – ₹1000
यह शुल्क वर्ष 2022 में जारी अधिसूचना के अनुसार निर्धारित किया गया है।
शुल्क से हो रहे कार्य
इस शुल्क से एकत्रित धनराशि का उपयोग नगर पंचायत द्वारा विभिन्न विकास कार्यों में किया जाता है, जिसमें शामिल हैं:
- पर्यटन विकास योजनाएं
- ठोस कचरा प्रबंधन (Solid Waste Management)
- चारधाम यात्रा के समय अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती
- बैरियर संचालन
- पर्यटन महोत्सवों का आयोजन
इन सेवाओं से न केवल तीर्थयात्रियों को सुविधा मिलती है बल्कि बदरीनाथ धाम की स्वच्छता और व्यवस्था भी सुनिश्चित होती है।
तीर्थयात्रियों को होगी सुविधा
बढ़ती तीर्थयात्री संख्या के चलते फास्टैग सिस्टम का उपयोग एक स्मार्ट समाधान साबित हो सकता है। यह व्यवस्था जाम की समस्या को कम करने में मदद करेगी और तीर्थयात्रियों का समय भी बचेगा। यात्रा के दौरान उन्हें नकद भुगतान या बार-बार रोकने की समस्या से भी निजात मिलेगी।
जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि यह पहल उत्तराखंड सरकार के डिजिटल मिशन और ‘ई-गवर्नेंस’ को भी मजबूती देती है। यह प्रयास उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन को और अधिक आधुनिक और व्यवस्थित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आगे भी हो सकती है विस्तार योजना
नगर पंचायत ने संकेत दिए हैं कि यदि यह फास्टैग प्रणाली सफल रहती है, तो इसे आगे आने वाले वर्षों में केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे अन्य धामों में भी लागू किया जा सकता है। इससे चारधाम यात्रा को अधिक सुव्यवस्थित और तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाजनक बनाया जा सकेगा।
निष्कर्षतः, बदरीनाथ धाम में फास्टैग के माध्यम से ईको टूरिज्म शुल्क वसूली की शुरुआत उत्तराखंड सरकार और स्थानीय प्रशासन की एक दूरदर्शी पहल है। इससे न केवल तीर्थयात्रियों को सुविधा होगी बल्कि धाम की व्यवस्था और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी सहायता मिलेगी।