मसूरी में निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, श्रद्धालुओं में दिखा उत्साह और आस्था का संगम
Lord Jagannath's Rath Yatra took place in Mussoorie, devotees showed enthusiasm and faith

मसूरी, 28 जून 2025: पुरी की तर्ज पर उत्तराखंड के मसूरी में भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ किया गया। मधुबन आश्रम ऋषिकेश के तत्वावधान में यह धार्मिक आयोजन संपन्न हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। नगर भर में जय जगन्नाथ के जयघोष और भक्ति की गूंज सुनाई दी।
सनातन धर्म मंदिर से लक्ष्मी नारायण मंदिर तक निकली यात्रा
यह भव्य यात्रा सनातन धर्म मंदिर से प्रारंभ होकर लक्ष्मी नारायण मंदिर तक निकाली गई। भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और माता सुभद्रा की सुसज्जित रथ पर प्रतिमाएं विराजमान थीं। श्रद्धालु भक्तिभाव से रथ की रस्सी खींचते हुए प्रभु के दर्शन कर रहे थे। पूरे मार्ग में भजन-कीर्तन, शंखध्वनि और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनियों से माहौल भक्तिमय हो गया।
संतों ने बताया रथ यात्रा का आध्यात्मिक संदेश
यात्रा से पूर्व आयोजित सभा में परमानंद दास महाराज और बिस्मेंदर दास महाराज ने रथ यात्रा के गूढ़ आध्यात्मिक अर्थ को बताया। उन्होंने कहा कि यह केवल परंपरा नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। रथ की रस्सी खींचना एक मोक्षदायक कर्म माना जाता है और इसमें भाग लेना ईश्वर की विशेष कृपा का प्रतीक है।
स्थानीय नेताओं की मौजूदगी ने बढ़ाया उत्साह
रथ यात्रा में नगर पालिका अध्यक्ष मीरा सकलानी और भाजपा मसूरी मंडल अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने भी भाग लिया। दोनों ने भगवान की प्रतिमाओं के समक्ष पूजा-अर्चना की और श्रद्धालुओं के साथ रथ खींचने में हिस्सा लिया। मीरा सकलानी ने कहा कि ऐसे आयोजन सामाजिक एकता और आध्यात्मिक चेतना को प्रोत्साहित करते हैं।
प्रशासनिक तैयारी से रहा आयोजन सुव्यवस्थित
रथ यात्रा को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए पुलिस प्रशासन और नगर पालिका ने विशेष प्रबंध किए। बैरिकेडिंग, यातायात नियंत्रण, स्वच्छता और सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई। यात्रा मार्ग पर पुलिस बल की तैनाती और वैकल्पिक यातायात मार्ग तय किए गए ताकि किसी को असुविधा न हो।
धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक एकता का पर्व
यह आयोजन मसूरी के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण अध्याय बन गया। मधुबन आश्रम द्वारा किया गया यह प्रयास पर्वतीय क्षेत्रों में भी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयोजनों की शक्ति को दर्शाता है। यह यात्रा श्रद्धा, समर्पण और सामाजिक समरसता की मिसाल बन गई।