भारतीय शेयर बाजार को झटका, अमेरिकी टैरिफ और एफआईआई की बिकवाली ने बढ़ाई चिंता
Shock to Indian stock market, US tariffs and FII selling raised concerns

अमेरिकी टैरिफ नीति से उभरा अनिश्चितता का माहौल
अमेरिका द्वारा भारत सहित कुछ देशों पर आयात टैरिफ बढ़ाने की घोषणा ने बाजार को हिला दिया है। रत्न-आभूषण, वस्त्र और चमड़े जैसे भारतीय निर्यात क्षेत्रों पर 25% तक की टैरिफ की आशंका से निवेशकों में घबराहट फैल गई। विशेषज्ञों का मानना है कि इन क्षेत्रों का सीधा शेयर बाजार प्रभाव सीमित है, लेकिन मनोवैज्ञानिक असर गंभीर रहा, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आई।
एफआईआई की लगातार बिकवाली से कमजोर पड़ा बाजार
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने एक बार फिर भारतीय शेयर बाजार से बड़ी पूंजी निकाली है। इस बिकवाली के चलते बाजार में स्थिरता कमजोर पड़ गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, जब तक FII का रवैया सकारात्मक नहीं होता, बाजार में मजबूती की उम्मीद करना मुश्किल है। घरेलू निवेशक भी अब सतर्क हो गए हैं।
आईटी सेक्टर को बड़ा झटका, TCS में 5% की गिरावट
TCS द्वारा FY26 तक 12,200 कर्मचारियों की छंटनी की खबर ने आईटी शेयरों में बिकवाली को तेज कर दिया। कंपनी के शेयर 5% टूट गए। इसके साथ ही ऑटो, फार्मा और मेटल सेक्टर में भी 2-3% की गिरावट देखी गई। हालांकि, FMCG सेक्टर ने थोड़ी स्थिरता दिखाई क्योंकि यह क्षेत्र वैश्विक उथल-पुथल से कम प्रभावित होता है।
तकनीकी संकेतक भी दिखा रहे कमजोरी के संकेत
निफ्टी का लगातार चौथे सप्ताह निचले स्तर पर बंद होना तकनीकी दृष्टि से चिंताजनक माना जा रहा है। फिलहाल अगला सपोर्ट लेवल 24,442 और 24,250 पर माना जा रहा है, जबकि ऊपर की ओर 24,950 का स्तर प्रमुख प्रतिरोध बन गया है। यदि स्थिति नहीं सुधरी तो और गिरावट की संभावना बनी हुई है।
वैश्विक कारणों ने भी बढ़ाया दबाव
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पारस्परिक टैरिफ लागू करने की चेतावनी से वैश्विक बाजारों में भी दबाव बढ़ा है। एशियाई और अमेरिकी बाजारों में 1% तक की गिरावट दर्ज हुई, जिससे भारतीय बाजार पर भी असर पड़ा। वैश्विक मंदी और महंगाई की आशंका ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया है।
निवेशकों के लिए सलाह: सतर्क रहना जरूरी
विशेषज्ञों की मानें तो यह समय रक्षात्मक रणनीति अपनाने का है। FMCG, फार्मा और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे मजबूत क्षेत्रों में निवेश की सलाह दी जा रही है। पोर्टफोलियो में विविधता लाना और लंबी अवधि का दृष्टिकोण अपनाना ही इस अस्थिरता में सुरक्षा की कुंजी बन सकता है।