गैरसैंण से जल संरक्षण की नई पहल, सूखे हैंडपंपों को मिलेगा जीवन
New initiative of water conservation from Gairsain, dry hand pumps will get life

गैरसैंण: उत्तराखंड में जल संकट की चुनौती से निपटने के लिए भराड़ीसैंण विधानसभा भवन से एक ऐतिहासिक पहल का आगाज हुआ। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के सहयोग से ‘डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना’ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर ‘वाइब्रेंट बर्ड ऑफ कोटद्वार’ फोटो संग्रह का भी विमोचन किया गया।
क्या है डायरेक्ट इंजेक्शन योजना?
इस परियोजना के तहत वर्षा जल को निष्क्रिय यानी सूख चुके हैंडपंपों में इंजेक्ट किया जाएगा ताकि भूजल स्तर को बढ़ाया जा सके। तकनीक को विश्वविद्यालय की विशेषज्ञ टीम ने विकसित किया है, जो वर्षा जल को पहले फिल्टर और ट्रीट करती है और फिर उसे भूजल भंडार तक पहुंचाती है। इससे सूखे हैंडपंप फिर से क्रियाशील हो जाएंगे।
पहले चरण में गैरसैंण और चौखुटिया को चुना गया
योजना के पहले चरण में गैरसैंण और चौखुटिया विकासखंडों के 20 हैंडपंपों को पुनर्भरण कर दोबारा सक्रिय बनाया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रयास उत्तराखंड में जल प्रबंधन और संरक्षण का एक स्थायी समाधान साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “राज्य के जल संकट को दूर करने के लिए सरकार तकनीकी नवाचारों को अपनाकर काम कर रही है। यह जल संरक्षण के क्षेत्र में एक सराहनीय प्रयास है।”
तकनीकी टीम ने रखी विस्तृत प्रस्तुति
शुभारंभ अवसर पर स्वामी राम विश्वविद्यालय की तकनीकी टीम—प्रो. एचपी उनियाल, नितेश कौशिक, सुजीत थपलियाल, राजकुमार वर्मा, अतुल उनियाल, अभिषेक उनियाल और शक्ति भट्ट—ने योजना की तकनीकी प्रक्रिया पर प्रस्तुति दी। उन्होंने समझाया कि किस तरह वर्षा जल को शुद्धिकरण प्रक्रिया के बाद भूजल तक पहुंचाया जाएगा।
डॉक्यूमेंट्री में दिखाए नतीजे
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई। इसमें गैरसैंण क्षेत्र के गांवों में अपनाई गई इस तकनीक और उसके सकारात्मक नतीजों को दिखाया गया। ग्रामीणों ने बताया कि इस तकनीक से सूख चुके कई हैंडपंपों में जलस्तर वापस आने लगा है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कही बड़ी बात
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने कहा, “जल संरक्षण केवल पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं बल्कि उत्तराखंड की भविष्य की जीवन रेखा है। भूजल पुनर्भरण आने वाले समय में जल सुरक्षा का आधार बनेगा। यह योजना सतत जल प्रबंधन और संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।”
सारा एजेंसी पहले से कर रही काम
गौरतलब है कि राज्य में जल स्रोतों के पुनर्जीवन के लिए अक्टूबर 2023 में सारा (स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी) नामक एजेंसी का गठन किया गया था। इसके तहत वन पंचायतों को जोड़कर प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाने और पुनर्जीवित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
गैरसैंण से शुरू हुई यह योजना जल संकट से जूझ रहे उत्तराखंड के लिए उम्मीद की किरण है। अगर यह प्रयास सफल रहा तो राज्य के हजारों गांवों को जल संकट से राहत मिल सकती है और उत्तराखंड जल संरक्षण के क्षेत्र में देश को नई दिशा दिखा सकता है।