
देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के चौथे दिन का सत्र ऐतिहासिक रहा। राज्य सरकार ने सख्त भू कानून सदन में प्रस्तुत किया, जिसे मंजूरी मिल गई। इसके अलावा, 10 अन्य विधेयक भी पास किए गए, जिनका राज्य की नीतियों और प्रशासन पर बड़ा असर पड़ेगा।
सदन में पारित हुए प्रमुख विधेयक
✅ नगर निकायों एवं प्राधिकरणों के लिए विशेष प्रावधान संशोधन विधेयक
✅ उत्तराखंड निक्षेपक हित संरक्षण विधेयक 2025
✅ विधानसभा में विधायकों की पेंशन विधेयक
✅ उत्तराखंड नीरसन विधेयक
✅ उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन तथा विकास संशोधन विधेयक
✅ उत्तराखंड स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी विधेयक
✅ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों और पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण विधेयक 2025
✅ कुशल खिलाड़ियों के लिए क्षैतिज आरक्षण विधेयक
✅ उत्तराखंड प्राइवेट यूनिवर्सिटी बिल
✅ उत्तराखंड माल और सेवा कर संशोधन विधेयक
सख्त भू कानून को मिली मंजूरी, विपक्ष ने की चर्चा की मांग
उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था संशोधन विधेयक 2025 को सदन के पटल पर रखा गया। इस पर विपक्ष ने चर्चा की मांग की, लेकिन इसके बावजूद भू कानून पारित कर दिया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस विधेयक को राज्य के हित में बड़ा कदम बताया।
उत्तराखंड भू कानून के प्रमुख प्रावधान
📌 भूमि उपयोग नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई
📌 राज्य में 12.5 एकड़ से अधिक जमीन खरीदने की अनुमति नहीं
📌 पहाड़ों में चकबंदी और बंदोबस्ती प्रक्रिया में तेजी
📌 दूसरे राज्यों के लोगों के लिए जमीन खरीदना होगा कठिन
📌 अब डीएम के स्तर पर जमीन खरीद की अनुमति नहीं मिलेगी
📌 राज्य में जमीन खरीद के लिए ऑनलाइन पोर्टल तैयार होगा
📌 राज्य से बाहर के लोगों की जमीन खरीद पर कड़ी निगरानी
📌 अनियमित खरीद-बिक्री की जमीन सरकार में निहित होगी
📌 भूमि की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण
📌 मूल निवासियों को भूमि खरीद में प्राथमिकता मिलेगी
📌 राज्य सरकार को भूमि प्रबंधन पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होगा
भू कानून से क्या होगा फायदा?
🔹 भू माफिया पर लगाम लगेगी
🔹 राज्य के संसाधनों का दुरुपयोग रोका जाएगा
🔹 पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन संभव होगा
🔹 स्थानीय निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत मिलेगी
उत्तराखंड सरकार का मानना है कि यह नया भू कानून राज्य के संसाधनों को संरक्षित करने और भू माफिया पर रोक लगाने में मददगार साबित होगा। वहीं, विपक्ष ने विधेयक पर और चर्चा की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इसे तुरंत पारित करने का निर्णय लिया।
उत्तराखंड के भू कानून में बदलाव क्या राज्य में आर्थिक और सामाजिक संतुलन बनाए रख पाएगा? यह आने वाले समय में साफ होगा।