
उत्तराखंड में पारंपरिक लोक पर्व हरेला पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। यह पर्व न केवल सांस्कृतिक धरोहर को सहेजता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों की चेतना को भी उजागर करता है। हरेला के अवसर पर पूरे प्रदेश में हजारों लोगों ने पौधारोपण किया और हरियाली को बढ़ावा देने का संकल्प लिया।
हरेला पर्व पर राज्य भर में वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस वर्ष राज्य सरकार और वन विभाग ने पांच लाख से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया। इनमें औषधीय, फलदार और छायादार पौधों की प्रजातियों को प्राथमिकता दी गई।
तराई क्षेत्र में वन विभाग और आईटीबीपी की साझेदारी में बड़ा अभियान
लालकुआं के तराई पूर्वी वन प्रभाग में वन विभाग और इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) ने मिलकर वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया। स्थानीय विधायक मोहन सिंह बिष्ट और डीएफओ हिमांशु बागड़ी की उपस्थिति में बड़े पैमाने पर पौधे लगाए गए। हिमांशु बागड़ी ने बताया कि जंगलों में फलदार पौधे लगाने से वन्यजीवों का रुख आबादी क्षेत्रों की ओर कम होगा, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं घटेंगी।
चमोली में पर्यावरणविदों और प्रशासन की भागीदारी
चमोली जिले में जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने गोपेश्वर में वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट ने भी इस मौके पर पौधारोपण किया और कहा कि युवाओं, महिलाओं और बच्चों को इस मुहिम का सबसे बड़ा सहयोगी बनाना जरूरी है। उन्होंने जंगलों की आग और अवैध कटाई को रोकने के लिए सामूहिक जागरूकता पर बल दिया।
मसूरी में अनोखे तरीके से मनाया गया हरेला
मसूरी में कांग्रेस भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में पौधों का वितरण कर उन्हें परिवार के सदस्य जैसा मानने का संदेश दिया गया। पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला ने कहा कि पौधा लगाना पर्याप्त नहीं, उसकी देखभाल ही असली कार्य है। उन्होंने सभी लोगों से अपील की कि वे लगाए गए हर पौधे की ज़िम्मेदारी लें।