
टिहरी, 19 जून 2025: उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम एवं वर्ष 2025 की आरक्षण नियमावली के अंतर्गत टिहरी गढ़वाल जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गई है। जिलाधिकारी नितिका खंडेलवाल के नेतृत्व में जिला प्रशासन ने ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के पदों और स्थानों के आरक्षण संबंधी अंतिम प्रकाशन जारी कर दिया है। यह प्रकाशन पूर्व में प्राप्त आपत्तियों की सुनवाई के बाद किया गया।
जिलाधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 13 जून 2025 को आरक्षण प्रस्तावों का अनंतिम प्रकाशन किया गया था, जिसमें ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत प्रमुख, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के पद शामिल थे। इसके पश्चात, आम जनता से 14 एवं 15 जून को आरक्षण प्रस्तावों पर आपत्तियां आमंत्रित की गई थीं।
आपत्तियों की सुनवाई और निष्पक्ष निर्णय प्रक्रिया
प्राप्त आपत्तियों पर 16 और 17 जून को संबंधित समिति द्वारा सुनवाई की गई। इस दौरान सभी पक्षों को सुना गया और नियमावली के अनुसार विचार-विमर्श किया गया। प्रत्येक आपत्ति की जांच निष्पक्षता और पारदर्शिता से की गई, जिससे जनविश्वास में वृद्धि हुई। समिति ने सभी वैध आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक सुधार प्रस्तावित किए।
18 जून को अंतिम प्रकाशन जारी
समिति की सुनवाई प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद, जिलाधिकारी नितिका खंडेलवाल ने 18 जून 2025 को शासनादेश में निहित प्रक्रिया के तहत आरक्षण सूची का अंतिम प्रकाशन जारी कर दिया। इस सूची में जनपद टिहरी गढ़वाल के अंतर्गत आने वाले सभी पंचायत क्षेत्रों के स्थानों और पदों के आरक्षण का विवरण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया गया है।
जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों में जागरूकता
अंतिम प्रकाशन के साथ ही पंचायत चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली है। ग्रामीणों और संभावित जनप्रतिनिधियों में इसे लेकर संतोष व्यक्त किया गया। यह प्रक्रिया पंचायत चुनावों की तैयारी को सुचारू और नियमानुसार संचालित करने की दिशा में एक अहम कदम है।
टिहरी जिले में त्रिस्तरीय पंचायतों के आरक्षण का अंतिम प्रकाशन शासन और प्रशासन की पारदर्शिता तथा संवेदनशीलता को दर्शाता है। जिला प्रशासन ने संबंधित अधिनियम एवं नियमावली के अनुरूप कार्रवाई कर जनता के विश्वास को और अधिक मजबूत किया है। आने वाले पंचायत चुनावों में यह आरक्षण निर्धारण प्रक्रिया लोकतंत्र की नींव को और सुदृढ़ करेगी।