
जरूरत से ज्यादा नमक बन रहा घातक
दुनिया भर में लोग अनजाने में अत्यधिक नमक का सेवन कर रहे हैं, जिससे हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और किडनी संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। एक नई रिसर्च के अनुसार, डिमेंशिया भी अत्यधिक नमक सेवन से जुड़ी एक गंभीर समस्या हो सकती है।
डिमेंशिया: मस्तिष्क पर गंभीर प्रभाव
डिमेंशिया से मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिससे याददाश्त, सोचने और तर्क करने की क्षमता प्रभावित होती है। जापान में यह समस्या आम होती जा रही है, और इससे पीड़ित लोग मानसिक अस्थिरता और पागलपन तक का शिकार हो सकते हैं।
डब्ल्यूएचओ की चेतावनी: रोज 5 ग्राम से कम करें नमक का सेवन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वयस्कों को प्रतिदिन 5 ग्राम से कम नमक का सेवन करना चाहिए। लेकिन भारतीय औसतन 11 ग्राम नमक खाते हैं, जो अनुशंसित मात्रा से दोगुना है।
👉 अगर भारत में लोग WHO के दिशानिर्देशों का पालन करें, तो 10 सालों में 3 लाख मौतों को टाला जा सकता है।
👉 शोध में पाया गया कि इससे 1.7 मिलियन हृदय रोग और 7 लाख किडनी रोग के मामले रोके जा सकते हैं, साथ ही 800 मिलियन डॉलर की स्वास्थ्य लागत भी बचाई जा सकती है।
नमक और डिमेंशिया के बीच संबंध: क्या कहता है शोध?
ब्रिटिश जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में यह पाया गया कि:
✅ अत्यधिक नमक सेवन से ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जिससे मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
✅ ‘ताऊ’ नामक प्रोटीन में असामान्य फॉस्फेट जमाव से अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है।
✅ सोडियम का अधिक सेवन न्यूरोटॉक्सिसिटी को बढ़ाता है, जिससे मस्तिष्क की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
डिमेंशिया के लक्षण:
⚠ याददाश्त कमजोर होना
⚠ बातचीत करने में कठिनाई
⚠ असामान्य व्यवहार और डिप्रेशन
⚠ चिंता और पागलपन के लक्षण
⚠ तर्क करने की क्षमता का कमजोर होना
नमक सेवन में सावधानी बरतें, स्वस्थ जीवन अपनाएं
👉 अत्यधिक नमक हाई ब्लड प्रेशर और मस्तिष्क विकारों को जन्म देता है।
👉 WHO के दिशानिर्देशों का पालन करें और प्रतिदिन 5 ग्राम से कम नमक लें।
👉 अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों से बचने के लिए संतुलित आहार अपनाएं।
👉 स्वस्थ जीवनशैली और नियमित स्वास्थ्य जांच से इन खतरों को रोका जा सकता है।