चारधाम यात्रा: बदरीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को होंगे बंद, शीतकालीन प्रवास की तैयारियां शुरू
Chardham Yatra: Doors of Badrinath Dham to close on November 25, preparations begin for winter sojourn

देहरादून: उत्तराखंड की चारधाम यात्रा अपने दूसरे चरण में है, जो 15 सितंबर से शुरू होकर नवंबर माह तक चलता है। इस बीच अब चारों धामों के कपाट बंद होने की तिथियों की घोषणा भी की जा रही है। मंगलवार, 2 अक्टूबर को दशहरा पर्व के अवसर पर बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि का ऐलान किया गया।
25 नवंबर को बंद होंगे बदरीनाथ के कपाट
घोषणा के अनुसार, बदरीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को दोपहर 2:56 बजे शुभ मुहूर्त में विधिविधान के साथ बंद होंगे। हर साल की तरह इस बार भी कपाट बंद होने की प्रक्रिया विशेष धार्मिक अनुष्ठानों और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न होगी। कपाट बंद होने के बाद धाम शीतकालीन प्रवास में चला जाएगा।
अन्य धामों की कपाट बंद तिथियां भी तय
चारधाम यात्रा से जुड़े अन्य धामों के कपाट बंद होने की तिथियां भी पहले ही घोषित हो चुकी हैं।
- केदारनाथ धाम के कपाट 23 अक्टूबर भैया दूज के दिन बंद होंगे।
- यमुनोत्री धाम के कपाट भी 23 अक्टूबर को दोपहर 12:30 बजे शीतकाल के लिए बंद होंगे।
- गंगोत्री धाम के कपाट 22 अक्टूबर अन्नकूट पर्व पर, अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11:36 बजे विधिविधान से बंद होंगे।
शीतकालीन प्रवास की परंपरा
कपाट बंद होने के बाद धाम शीतकालीन प्रवास में जाते हैं। इस दौरान श्रद्धालु चारों धामों के दर्शन उनके निर्धारित शीतकालीन स्थलों पर कर सकते हैं।
- बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद चमोली के पांडुकेश्वर और जोशीमठ में बदरीविशाल की पूजा होती है।
- बाबा केदारनाथ की मूर्ति शीतकाल में रुद्रप्रयाग के ऊखीमठ में विराजमान होती है।
- मां गंगा के दर्शन गंगोत्री से शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव में होते हैं।
- मां यमुना शीतकाल में खरसाली गांव में पूजी जाती हैं।
यह परंपरा न केवल श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक है बल्कि कठिन मौसम में उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है।
द्वितीय और तृतीय केदार भी होंगे बंद
चारधाम यात्रा से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण धामों के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे।
- द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर धाम के कपाट 18 नवंबर ब्रह्म मुहूर्त में बंद होंगे।
- तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाट 6 नवंबर को बंद होंगे।
यात्रियों के लिए मार्गदर्शन और व्यवस्था
उत्तराखंड सरकार और जिला प्रशासन ने यात्रियों को यात्रा की योजना बनाने में सुविधा प्रदान करने के लिए सभी तिथियां सार्वजनिक कर दी हैं। कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन प्रवास स्थलों पर यात्रियों की सुविधा के लिए व्यवस्थाएं की जाती हैं।
श्रद्धालु यहां धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेकर आस्था के साथ-साथ हिमालय की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता का भी अनुभव कर सकते हैं।
आस्था और परंपरा का संगम
चारधाम यात्रा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। कपाट बंद होने और शीतकालीन प्रवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो तीर्थयात्रियों को सालभर आस्था से जोड़े रखती है।
इस वर्ष यात्रा के दूसरे चरण में भारी संख्या में श्रद्धालु धामों के दर्शन कर चुके हैं। अब कपाट बंद होने की तिथियों की घोषणा के साथ ही शीतकालीन प्रवास की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं।