
देहरादून: उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश ने एक बार फिर जनजीवन को खतरे में डाल दिया है। मैदानी जिलों में जलभराव और पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन ने हालात को गंभीर बना दिया है। सबसे ज्यादा नुकसान चमोली जिले के नंदानगर क्षेत्र में दर्ज किया गया, जहां बादल फटने की घटना ने कई घरों और खेतों को तबाह कर दिया। राहत-बचाव दलों के लिए यह बड़ा चुनौतीपूर्ण समय है।
नंदानगर में तबाही
चमोली के नंदानगर में अचानक बादल फटने से कई मकान पूरी तरह ढह गए। तेज बारिश से पहाड़ी धाराओं में पानी का बहाव इतना बढ़ गया कि खेत और घर मलबे के साथ बह गए। कई लोग अभी लापता हैं। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस की टीमें लगातार राहत व बचाव कार्य में जुटी हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बारिश इतनी तेज थी कि उन्हें संभलने का मौका तक नहीं मिला।
मैदानी इलाकों में जलभराव
देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे मैदानी जिलों में भी मूसलधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। जगह-जगह जलभराव से सड़कें बंद हो गईं और यातायात ठप हो गया। पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन से कई ग्रामीण मार्ग अवरुद्ध हैं, जिससे दूरस्थ गांवों तक राहत सामग्री पहुंचाना मुश्किल हो रहा है।
मौसम विभाग का अलर्ट
भारतीय मौसम विभाग ने 19 और 20 सितंबर के लिए अलर्ट जारी किया है। पूर्वानुमान के अनुसार देहरादून, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और उधमसिंह नगर में बिजली चमकने और भारी बारिश की संभावना है। विभाग का कहना है कि अगले सप्ताह से मानसून कमजोर पड़ सकता है, जिससे राहत मिल सकती है।
प्रशासन की तैयारी
संभावित खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और आपदा प्रबंधन अधिकारियों को चौकस रहने के निर्देश दिए हैं। नदियों और नालों के किनारे बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है। साथ ही खाद्यान्न, दवाइयों और पीने के पानी का पर्याप्त स्टॉक रखने के आदेश दिए गए हैं। राहत शिविरों में अस्थायी आवास, भोजन और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
लोगों में दहशत और इंतजार
ग्रामीणों का कहना है कि हर साल बारिश का दौर चिंता बढ़ाता है, लेकिन इस बार हालात और भी खराब हैं। लोग घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं, जबकि कई अपने परिजनों को खोजने में जुटे हैं। प्रशासन का कहना है कि लापता लोगों को खोजने और सामान्य स्थिति बहाल करने के प्रयास जारी रहेंगे।
राहत की उम्मीद
मौसम विभाग के अनुसार अगले सप्ताह से बारिश की रफ्तार कम हो सकती है। हालांकि, पहाड़ों की ढीली मिट्टी के कारण भूस्खलन का खतरा बना रहेगा। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे अनावश्यक यात्रा न करें और सरकारी चेतावनियों का पालन करें।
लगातार बारिश और नंदानगर की तबाही ने एक बार फिर साबित किया है कि उत्तराखंड में मानसून का दौर कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। फिलहाल, राहत और बचाव टीमें दिन-रात काम कर रही हैं ताकि हर प्रभावित व्यक्ति तक मदद पहुंच सके और जनहानि को रोका जा सके।