
1999 से पहले शाम 5 बजे पेश होता था बजट, जानें बदलाव की कहानी
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज सुबह 11 बजे केंद्रीय बजट 2025 पेश करेंगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बजट हमेशा सुबह 11 बजे ही क्यों पेश किया जाता है? दरअसल, भारत में यह प्रथा वर्ष 1999 से शुरू हुई थी, जबकि इससे पहले शाम 5 बजे बजट पेश करने की परंपरा थी।
औपनिवेशिक दौर में क्यों तय हुआ शाम 5 बजे का समय?
शाम 5 बजे बजट पेश करने की परंपरा ब्रिटिश शासनकाल से चली आ रही थी। इसके पीछे दो मुख्य कारण थे:
- ब्रिटिश समय क्षेत्र के अनुसार अनुकूलन – भारतीय मानक समय (IST), ब्रिटिश ग्रीष्मकालीन समय (BST) से 4.5 घंटे आगे और ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) से 5.5 घंटे आगे है। इसलिए, भारत में शाम 5 बजे बजट पेश करने पर इंग्लैंड में दोपहर 12:30 बजे का समय होता था, जिससे वहां की सरकार और अधिकारी इसे आसानी से देख और समझ सकते थे।
- नौकरशाहों को आराम देने की सोच – बजट तैयार करने की प्रक्रिया बेहद थकाऊ होती थी। शाम को बजट पेश करने से अधिकारियों और नीति-निर्माताओं को पूरे दिन तैयारी का समय मिलता था, जिससे वे बेहतर ढंग से अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकते थे।
सुबह 11 बजे बजट पेश करने का फैसला कब और क्यों लिया गया?
1999 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में इस परंपरा में बदलाव किया गया। तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने पहली बार 27 फरवरी 1999 को सुबह 11 बजे केंद्रीय बजट पेश किया, और तब से यह परंपरा लगातार जारी है।
इस बदलाव के पीछे मुख्य कारण यह था कि अब ब्रिटिश समय क्षेत्र के अनुसार बजट पेश करने की जरूरत नहीं थी। साथ ही, सुबह 11 बजे बजट पेश करने से संसद में बहस करने और बजट दस्तावेजों का विश्लेषण करने के लिए अधिक समय मिलता है। इससे सांसदों, अर्थशास्त्रियों और नीति-निर्माताओं को बजट पर अधिक गहराई से चर्चा करने का अवसर मिला।
आज भी जारी है 1999 में शुरू की गई यह परंपरा
1999 में हुए इस बड़े बदलाव के बाद से हर साल केंद्रीय बजट सुबह 11 बजे ही पेश किया जाता है। यह न केवल भारत की आर्थिक नीतियों में स्वतंत्रता और व्यावहारिकता को दर्शाता है, बल्कि इससे संसद में बजट पर बेहतर और विस्तृत चर्चा करने का भी मौका मिलता है।


