बदरीनाथ धाम और भविष्य बदरी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की भव्य धूम
Sri Krishna Janmashtami is celebrated with great pomp in Badrinath Dham and Bhavishya Badri Temple

चमोली: देवभूमि उत्तराखंड की पवित्र नगरी बदरीनाथ धाम में इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व का आयोजन बेहद भव्य और आध्यात्मिक उल्लास के साथ किया गया। बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) की ओर से धाम परिसर में आकर्षक कार्यक्रम आयोजित हुए, जिनमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। भगवान बदरी विशाल के दरबार में जन्माष्टमी का पर्व श्रद्धा और भक्ति की अनूठी छटा बिखेरता नजर आया।
बदरीनाथ धाम में श्रृंगार और पूजन
शुक्रवार 15 अगस्त से ही धाम में जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू हो गई थीं और आज पर्व के मुख्य दिन पर बदरीपुरी में भक्तों का उत्साह देखने लायक था। मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी के नेतृत्व में भगवान बदरी विशाल का विशेष श्रृंगार किया गया। इस अवसर पर बद्रीश पंचायत के देवताओं—नारद, उद्धव, कुबेर और नर-नारायण—का भी श्रृंगार कर भव्य दर्शन कराए गए। रात्रि के शुभ मुहूर्त में विधिवत पूजा-अर्चना आरंभ हुई और मध्यरात्रि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धाम में गूंज उठा।
श्रद्धालु देर रात तक मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चारण में लीन रहे। पूरा वातावरण कृष्णमय हो गया और बदरी पुरी की गलियों में भक्तिरस से सराबोर दृश्य देखने को मिला।
भविष्य बदरी मंदिर में उमड़ा जनसैलाब
गढ़वाल हिमालय के पंच बदरी धामों में शामिल भविष्य बदरी मंदिर में भी जन्माष्टमी का उत्सव बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। ज्योतिर्मठ क्षेत्र के सुभाई गांव के ऊपरी हिस्से में चीड़ और देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित यह मंदिर भगवान हरि नारायण को समर्पित है। यहां सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था।
पूजा समिति की देखरेख में पूरे दिन विशेष पूजन-अभिषेक और आरती का आयोजन हुआ। भगवान भविष्य बदरी के साथ श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का पर्व मिलकर मनाया गया और भगवान को 56 भोग अर्पित किए गए।
भजन-कीर्तन और लोकगीतों की गूंज
मंदिर परिसर में भक्तों ने देर रात तक भजन-कीर्तन किए, वहीं स्थानीय महिलाओं ने पारंपरिक चोफुला और दाकुड़ी नृत्य प्रस्तुत कर वातावरण को और अधिक आध्यात्मिक बना दिया। लोकगीतों और कृष्ण भजनों से पूरा इलाका भक्ति रस में डूबा रहा।
प्रसाद और भंडारा
समिति की ओर से श्रद्धालुओं के लिए विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। दिनभर चले इस धार्मिक आयोजन ने न केवल स्थानीय भक्तों को बल्कि दूर-दराज से पहुंचे श्रद्धालुओं को भी भक्ति और आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराया।