उत्तराखंड में हाई एल्टीट्यूड अल्ट्रा मैराथन की शुरुआत: अक्टूबर से कुमाऊं में होगा आयोजन, साहसिक पर्यटन को मिलेगा नया आयाम
High altitude ultra marathon starts in Uttarakhand: It will be organized in Kumaon from October, adventure tourism will get a new dimension

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने साहसिक खेलों और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक अहम कदम उठाया है। अब लद्दाख की तर्ज पर राज्य में पहली बार हाई एल्टीट्यूड अल्ट्रा मैराथन का आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन की शुरुआत अक्टूबर 2025 में कुमाऊं क्षेत्र से की जाएगी। यह पहल न केवल राज्य के साहसिक खेल परिदृश्य को समृद्ध करेगी, बल्कि पर्यटन को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में सहायक होगी।
गुंजी से आदि कैलाश तक होगी पहली दौड़
राज्य की पहली हाई एल्टीट्यूड अल्ट्रा मैराथन गुंजी से आदि कैलाश तक आयोजित की जाएगी। करीब 72 किलोमीटर लंबी यह दौड़ दुर्गम और ऊंचाई वाले क्षेत्र में होगी, जो प्रतिभागियों के धैर्य और सहनशक्ति की परीक्षा लेगी। अक्टूबर माह का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि इस समय मौसम अनुकूल रहता है और प्रतिभागियों को बेहतरीन अनुभव प्राप्त हो सकता है।
हर वर्ष किया जाएगा आयोजन
यह मैराथन एक बार का आयोजन नहीं होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के अनुसार, इस इवेंट को राज्य के वार्षिक पर्यटन कैलेंडर में शामिल किया जाएगा। प्रत्येक वर्ष इसे समयबद्ध और व्यवस्थित तरीके से आयोजित किया जाएगा, जिससे देश-विदेश से आने वाले प्रतिभागी इसकी तैयारी कर सकें।
व्यास, नीति और माणा घाटियों में भी होगा आयोजन
पर्यटन विभाग ने राज्य के अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों जैसे व्यास घाटी, नीति घाटी और माणा घाटी को भी आगामी चरणों के लिए चयनित किया है। इन क्षेत्रों में मई और जून के महीने को मैराथन आयोजन के लिए उपयुक्त माना गया है। आयोजनों को बेहतर बनाने के लिए प्रतिभागियों को तीन से चार कैटेगरी में विभाजित किया जाएगा।
लद्दाख से मिली प्रेरणा
लद्दाख की हाई एल्टीट्यूड मैराथन विश्व प्रसिद्ध है और हर साल इसमें दुनिया भर से धावक शामिल होते हैं। उसी मॉडल को अपनाकर उत्तराखंड भी अपने दुर्गम क्षेत्रों को साहसिक पर्यटन के वैश्विक मानचित्र पर लाने का प्रयास कर रहा है। इस प्रकार का आयोजन ना केवल खेलों को बढ़ावा देगा, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को भी नई पहचान दिलाएगा।
स्थानीय युवाओं को मिलेगा अवसर
इस आयोजन से स्थानीय युवाओं को रोजगार, प्रशिक्षण और खेल के क्षेत्र में अवसर मिलेंगे। साथ ही इससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। यदि यह आयोजन सफल होता है तो उत्तराखंड साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बन सकता है।