उत्तराखंड

हरक सिंह रावत ईडी कार्यालय में हुए पेश, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रकरण में जांच जारी

Harak Singh Rawat appeared in ED office, investigation continues in Corbett Tiger Reserve case

देहरादून: उत्तराखंड के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के देहरादून कार्यालय में पेश हुए। यह पेशी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई से जुड़े एक संवेदनशील मामले में की गई है। ईडी ने इससे पहले उन्हें समन जारी किया था, लेकिन पूर्व में निजी कारणों के चलते वे उपस्थित नहीं हो पाए थे। अब नई तारीख पर वह ईडी के समक्ष पहुंचे।

कॉर्बेट रिजर्व में हुए कथित अवैध निर्माण पर ईडी की नजर

मामला उस समय का है जब हरक सिंह रावत राज्य सरकार में वन मंत्री थे। उन पर आरोप है कि उनके कार्यकाल में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बिना वैध अनुमति के निर्माण कार्य कराए गए और बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए। यह निर्माण कार्य पर्यावरणीय मानकों का उल्लंघन करते हुए किए गए थे, जिसकी शिकायत के बाद यह मामला जांच एजेंसियों की नजर में आया।

पहले भी हुई थी पूछताछ, अब दस्तावेजों की जांच

यह कोई पहली बार नहीं है जब हरक सिंह रावत को ईडी ने तलब किया हो। इससे पूर्व भी एजेंसी उनसे पूछताछ कर चुकी है। हालांकि, कुछ दस्तावेज और बिंदु स्पष्ट नहीं हो पाए थे, जिस कारण उन्हें दोबारा बुलाया गया है। इस बार उनसे उन बिंदुओं पर आधारित दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा गया है, जिससे उनके पूर्व में दिए गए बयानों की पुष्टि हो सके।

विजिलेंस जांच और कार्रवाई

कॉर्बेट मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड विजिलेंस विभाग भी सक्रिय हुआ था। विजिलेंस टीम ने हरक सिंह रावत से जुड़े कॉलेज और पेट्रोल पंप पर छापेमारी की थी। इस दौरान वन विभाग से संबंधित एक बड़ा व्यावसायिक इन्वर्टर जब्त किया गया था, जो इस प्रकरण को और गहराता है।

राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज़

हरक सिंह रावत ने इन सभी कार्रवाइयों को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग कर उन्हें निशाना बना रही है। उनका कहना है कि जब वे भाजपा में थे, तब ऐसी कोई जांच नहीं हुई, लेकिन पार्टी छोड़ते ही उन पर जांच का दबाव बढ़ा दिया गया।

मनी लॉन्ड्रिंग की भी हो रही जांच

सूत्रों के अनुसार, ईडी की जांच सिर्फ अवैध निर्माण तक सीमित नहीं है। एजेंसी वित्तीय लेन-देन, अनुबंध और संपत्तियों की भी गहन जांच कर रही है। एजेंसी यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही है कि कहीं इस पूरे प्रकरण में मनी लॉन्ड्रिंग की कोई कड़ी तो नहीं जुड़ी है।

अगली कार्रवाई पर टिकी निगाहें

फिलहाल हरक सिंह रावत पूछताछ में सहयोग कर रहे हैं और सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने का आश्वासन दे चुके हैं। अब ईडी की आगामी कार्रवाई इस बात पर निर्भर करेगी कि जांच में कितने पुख्ता सबूत सामने आते हैं। आने वाले समय में यह स्पष्ट होगा कि यह मामला कानूनी दायरे तक सीमित रहेगा या राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचाएगा।

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