उत्तराखंड

अधिवक्ता दीपक मेंग़वाल की प्रभावी पैरवी से चेक धोखाधड़ी में आरोपी दोषी करार

Due to the effective advocacy of Advocate Deepak Mengwal, the accused in cheque fraud was declared guilty

देहरादून, 26 जून 2025: देहरादून की द्वितीय जिला एवं सत्र न्यायालय ने चेक के माध्यम से धोखाधड़ी कर बैंक से लाखों रुपये निकालने के एक महत्वपूर्ण मामले में आरोपी लरियाकांत उर्फ लरियाकिशोर को दोषी ठहराते हुए ₹2 लाख का जुर्माना सुनाया है। यह फैसला पंजाब नेशनल बैंक बनाम लरियाकांत मामले में सुनाया गया, जिसमें बैंक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दीपक मेंग़वाल मजबूती से पैरवी की।

अधिवक्ता दीपक मेंग़वाल ने तथ्यों से किया अदालत को संतुष्ट

प्रकरण में अधिवक्ता दीपक मेंग़वाल ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि वर्ष 2006 में पंजाब नेशनल बैंक ने आरोपी के भाई को ₹6 लाख का ऋण स्वीकृत किया था। यह राशि बैंक द्वारा चेक के माध्यम से जारी की गई थी, जिसे आरोपी ने बिना किसी वैध अधिकार के अपने खाते में जमा कर स्वयं निकाल लिया।

अधिवक्ता मेंग़वाल ने बैंक स्टेटमेंट, चेक की प्रतिलिपि, पत्राचार और कानूनी नोटिस जैसी अहम दस्तावेज़ी साक्ष्य पेश करते हुए यह साबित किया कि आरोपी की मंशा शुरू से ही धोखाधड़ी की थी। उन्होंने यह तर्क रखा कि चेक का भुगतान केवल अधिकृत व्यक्ति को होना चाहिए, और आरोपी इस भुगतान के लिए अधिकृत नहीं था।

अदालत ने माना – आरोपी ने की जानबूझकर धोखाधड़ी

मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपी ने यह दावा किया कि उसे चेक की जानकारी नहीं थी और उसके हस्ताक्षर नहीं हैं। लेकिन अधिवक्ता मेंग़वाल की गहन जिरह और दस्तावेजों की स्पष्ट प्रस्तुति ने अदालत को यह विश्वास दिला दिया कि आरोपी ने स्वयं चेक प्रस्तुत किया और राशि प्राप्त की।

न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि आरोपी द्वारा चेक का प्रयोग अवैध रूप से किया गया और यह कार्य भारतीय परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के तहत दंडनीय है। चूंकि आरोपी ने न तो राशि लौटाई और न ही संतोषजनक जवाब दिया, इसलिए उसे दोषी करार दिया गया।

सजा के साथ जुर्माने का आदेश

कोर्ट ने आरोपी को ₹2 लाख का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया। आदेश में यह भी कहा गया कि जुर्माने की राशि में से ₹1 लाख पंजाब नेशनल बैंक को हर्जाने के रूप में दिया जाएगा, जबकि शेष ₹1 लाख सरकार के खाते में जमा किया जाएगा।

न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाई अधिवक्ता ने

इस मामले में अधिवक्ता दीपक मेंग़वाल की पेश की गई दलीलों ने पूरे घटनाक्रम को स्पष्ट करते हुए न्यायालय को आरोपी की मंशा समझाने में सफलता पाई। उनकी कानूनी समझ, तथ्यों की प्रस्तुति और सटीक तर्कों ने इस मुकदमे को न्याय तक पहुंचाने में निर्णायक भूमिका निभाई।चेक से जुड़ी धोखाधड़ी के मामलों में यह फैसला मिसाल बन सकता है। अधिवक्ता दीपक मेंग़वाल की सूझबूझ और कठोर मेहनत ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि कानून के दायरे में रहते हुए उचित तैयारी और तथ्यपूर्ण पैरवी की जाए, तो न्याय जरूर मिलता है। अदालत के इस निर्णय ने वित्तीय संस्थानों को भरोसा दिलाया है कि उनके साथ हुई धोखाधड़ी पर सख्त कार्रवाई होगी।

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