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1 अगस्त से लागू होंगे UPI के नए नियम: बैलेंस चेक, ऑटोपे और ट्रांजैक्शन पर लगी सीमा

New UPI rules will be implemented from August 1: Limits imposed on balance check, autopay and transactions

NPCI ने डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित और स्थिर बनाने के लिए जारी की नई गाइडलाइन

नई दिल्ली: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के ज़रिए डिजिटल लेन-देन करने वाले करोड़ों भारतीयों के लिए एक अहम खबर है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने UPI के इस्तेमाल को लेकर नए नियम तय किए हैं, जो 1 अगस्त 2025 से प्रभाव में आ जाएंगे। इन नियमों का उद्देश्य UPI सिस्टम को और अधिक सुरक्षित, विश्वसनीय और तकनीकी रूप से संतुलित बनाना है।

अब सिर्फ 50 बार ही देख सकेंगे अकाउंट बैलेंस

नई गाइडलाइन के अनुसार, अब उपयोगकर्ता किसी एक UPI ऐप से दिन में अधिकतम 50 बार ही अपने बैंक बैलेंस की जांच कर सकेंगे। यह नियम इसलिए लागू किया गया है ताकि नेटवर्क पर अतिरिक्त लोड को कम किया जा सके। यदि किसी यूजर के पास एक से अधिक UPI ऐप्स हैं, तो प्रत्येक ऐप पर अलग-अलग 50 बार बैलेंस चेक करने की अनुमति होगी।

ऑटोपे अब नहीं चलेगा पीक ऑवर्स में

NPCI ने ऑटोपे फीचर के इस्तेमाल को लेकर भी समय सीमा तय की है। सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे और शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक के समय को पीक ऑवर्स घोषित किया गया है। इन समयों के दौरान ऑटोपे ट्रांजैक्शन की अनुमति नहीं होगी। यूजर्स को अपने नियमित भुगतान नॉन-पीक समय में सेट करने होंगे।

फेल ट्रांजैक्शन की स्थिति बार-बार नहीं देख सकेंगे

UPI ट्रांजैक्शन फेल होने के बाद उपयोगकर्ता अक्सर बार-बार स्टेटस चेक करते हैं, जिससे नेटवर्क पर दबाव बढ़ता है। अब इस पर भी रोक लगाई गई है। यूजर्स अब सीमित बार ही ट्रांजैक्शन स्टेटस जानने के लिए रिक्वेस्ट भेज सकेंगे।

मोबाइल लिंक अकाउंट की जानकारी भी सीमित

नई गाइडलाइन के तहत, एक दिन में अधिकतम 25 बार ही यूजर्स अपने मोबाइल नंबर से जुड़े बैंक अकाउंट्स की सूची देख सकेंगे। यह सुविधा बैंक चयन और उपयोगकर्ता की अनुमति मिलने के बाद ही सक्रिय होगी।

उल्लंघन पर कड़े कदम

NPCI ने साफ किया है कि यदि कोई बैंक या भुगतान ऐप इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके API एक्सेस को सस्पेंड किया जा सकता है। इसके अलावा, नए उपयोगकर्ताओं को जोड़ने की अनुमति भी अस्थायी रूप से रोकी जा सकती है।

दीर्घकालिक लाभ के लिए अल्पकालिक असुविधा

NPCI ने बताया कि ये बदलाव तकनीकी स्थिरता, सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए बेहद जरूरी हैं। शुरुआत में इससे कुछ असुविधा हो सकती है, लेकिन लंबे समय में यह डिजिटल भुगतान प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाएगा।

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