
ग्रामीण महिलाएं रच रहीं आत्मनिर्भरता की कहानी
उत्तराखंड के टिहरी जिले के बखरियाणा गांव की महिलाएं आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी सफलता हासिल कर रही हैं। पारंपरिक खेती से आगे बढ़ते हुए अब ये महिलाएं नेचुरल फाइबर जैसे जूट और भीमल के रेशे से आकर्षक सजावटी व उपयोगी उत्पाद बना रही हैं, जिनकी बाजार में अच्छी मांग है। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ मिलने से इन महिलाओं की आर्थिकी मजबूत हो रही है।
प्रशिक्षण से मिली नई पहचान
जिला उद्योग केंद्र, नरेंद्रनगर द्वारा विशेष कंपोनेंट प्लांट योजना के तहत बखरियाणा की 20 महिलाओं को दो माह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन महिलाओं को प्रशिक्षक पूर्णिमा पंवार ने जूट और भीमल से उत्पाद बनाने की तकनीक सिखाई। यह प्रशिक्षण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर स्वरोजगार की ओर प्रेरित कर रहा है।
‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ योजना से बढ़ा हौसला
भारत सरकार की “वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट” (ODOP) योजना के तहत टिहरी जिले में नेचुरल फाइबर उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। महिलाओं को कच्चा माल जैसे जूट और भीमल के रेशे उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे वे पायदान, टोकरियां, चप्पलें, फ्लावर पॉट आदि बना रही हैं। ये उत्पाद स्थानीय बाजारों में बेचे जा रहे हैं, जिससे महिलाओं को प्रतिदिन ₹300 तक की आय हो रही है।
स्वयं सहायता समूहों ने संभाली जिम्मेदारी
बखरियाणा की महिलाएं स्थानीय स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर सामूहिक रूप से काम कर रही हैं। जानवी स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष विनीता देवी के अनुसार, प्रशिक्षण के बाद महिलाएं आत्मविश्वास से भर गई हैं और अब खुद का व्यवसाय शुरू करने की तैयारी कर रही हैं।
सरकारी योजनाओं से मिला संबल
महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं वरदान साबित हो रही हैं। सही मार्गदर्शन और संसाधनों की मदद से ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।
महाप्रबंधक ने की पहल की सराहना
जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक हरीश चंद हटवाल ने बताया कि यह पहल ग्रामीण महिलाओं को न केवल आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि उनके उत्पादों को राष्ट्रीय मंच देने की भी तैयारी है।
यह पहल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रेरणादायक कदम बन रही है।