Uttarakhand agricultural land: उत्तराखंड में खेती पर गहराया संकट: 2 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि हुई समाप्त
Crisis deepens on farming in Uttarakhand: 2 lakh hectares of agricultural land lost

देहरादून,2 अक्टूबर 2024: उत्तराखंड में इन दिनों भू-कानून का मुद्दा जोरों पर है, जिसमें मुख्य रूप से घटती कृषि भूमि पर चिंता जताई जा रही है। राज्य में भूमि का उपयोग तेजी से बदल रहा है, और कृषि योग्य जमीन का दायरा घटता जा रहा है। इसके पीछे विकास, आपदा, भू-कटाव और अवैध भूमि सौदों जैसे कई कारण जिम्मेदार बताए जा रहे हैं। राज्य सरकार और स्थानीय सामाजिक संगठनों की ओर से हिमाचल प्रदेश की तरह सख्त भू-कानून की मांग की जा रही है।
आंकड़ों के अनुसार, राज्य के गठन के समय यानी 2000-01 में उत्तराखंड में 7,69,944 हेक्टेयर कृषि भूमि थी, जो 2022-23 तक घटकर 5,68,488 हेक्टेयर रह गई है। यह करीब 2 लाख हेक्टेयर से ज्यादा की गिरावट है। इसके साथ ही, 2019-20 के जिला-वार आंकड़ों से पता चलता है कि हर जिले में कृषि भूमि का दायरा तेजी से कम हो रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस गंभीर समस्या को ध्यान में रखते हुए घोषणा की है कि उनकी सरकार अगले बजट सत्र में एक वृहद भू-कानून लाएगी, ताकि राज्य में जमीन की अनियंत्रित खरीद-बिक्री पर रोक लगाई जा सके। इसके साथ ही, भूमि के गलत उपयोग की जांच के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे, और ऐसे मामलों में राज्य सरकार हस्तक्षेप करेगी।
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि अगर कृषि भूमि घटने का सिलसिला जारी रहा, तो आने वाले समय में राज्य में कृषि के लिए भूमि ही नहीं बचेगी। इसी दिशा में कदम उठाते हुए, सरकार ने नगर निकाय क्षेत्रों से बाहर 250 वर्ग मीटर से अधिक कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगाने और इसकी समीक्षा करने का निर्णय लिया है। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने भी कहा कि भूमि के लैंड यूज में बदलाव के मामलों की जांच कर, जो जमीनें गलत तरीके से उपयोग हो रही हैं, उन्हें राज्य सरकार में निहित किया जाएगा।
इस तरह, सरकार का उद्देश्य भू-कानून को सख्त बनाकर उत्तराखंड की कृषि भूमि और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।