गैरसैंण सत्र में हंगामा और हलचल, विपक्ष के विरोध के बावजूद सरकार ने पूरे किए अपने एजेंडे
There was uproar and commotion in the Gairsain session, despite opposition the government fulfilled its agenda

गैरसैंण: उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र इस बार हलचल और विवादों से घिरा रहा। भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन में मंगलवार को शुरू हुए सत्र के दूसरे ही दिन कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा। कांग्रेस विधायकों के लगातार विरोध और नारेबाजी के बीच भी सरकार ने 9 अहम विधेयक और 5,315 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पास करा लिया।
पहले दिन से ही गूंजा विपक्ष का विरोध
सत्र की शुरुआत होते ही विपक्ष ने पंचायत चुनावों में कथित गड़बड़ियों और प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर चर्चा की मांग रखी। कांग्रेस नेता यशपाल आर्य और प्रीतम सिंह ने नियम 310 के तहत बहस पर जोर दिया। देखते ही देखते विपक्षी विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी, जिससे सदन का माहौल गरमा गया।
सदन में टकराव, माइक और कागज हुए हवा में
जब कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो विपक्षी विधायक और आक्रामक हो गए। उन्होंने विधानसभा सचिव की टेबल पलटने की कोशिश की, दस्तावेज फाड़े और माइक तक पटक दिए। हालात बिगड़ते देख विधानसभा अध्यक्ष को कई बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। कुल चार बार सदन रोका गया और प्रश्नकाल पूरी तरह बाधित हो गया।
धरने पर डटे विपक्षी विधायक
विरोध सिर्फ सदन तक सीमित नहीं रहा। कांग्रेस विधायकों ने सदन के भीतर धरना शुरू कर दिया और पूरी रात वहीं बिताई। वहीं, कुछ पूर्व कांग्रेस विधायक बाहर धरने पर बैठे रहे। विपक्ष का कहना था कि सरकार उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।
विवादों के बीच सरकार ने पारित कराए 9 विधेयक
लगातार हंगामे के बीच भी सरकार ने अपना विधायी एजेंडा पूरा कर लिया। धर्मांतरण विरोधी विधेयक, अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) संशोधन, पंचायती राज अधिनियम संशोधन और बदरी-केदार समिति से जुड़े विधेयक सहित कुल 9 बिल पारित हुए। साथ ही अनुपूरक बजट भी ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक पर सबसे ज्यादा चर्चा
इस विधेयक के बाद अब केवल मुस्लिम ही नहीं, बल्कि सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदायों के संस्थानों को भी अल्पसंख्यक दर्जा मिलेगा। इसके अलावा 2026 से मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम और अरबी-फारसी मदरसा मान्यता नियम समाप्त हो जाएंगे। नए प्रावधान के तहत गुरुमुखी और पाली भाषाओं को भी शामिल किया गया है।
यूसीसी और धर्मांतरण कानून में नए प्रावधान
यूसीसी संशोधन में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर सख्त नियम बनाए गए हैं। शादीशुदा व्यक्ति अगर धोखे से लिव-इन में पाया गया तो उसे 7 साल की जेल और जुर्माना हो सकता है। वहीं, धर्मांतरण विरोधी विधेयक में अब डिजिटल माध्यम से होने वाले धर्म परिवर्तन को भी अपराध घोषित किया गया है।
पंचायत और बदरी-केदार समिति से जुड़े फैसले
पंचायती राज अधिनियम में बदलाव से जुड़वा बच्चों को एक ही संतान माना जाएगा, जिससे उम्मीदवार पंचायत चुनाव लड़ सकेंगे। वहीं, बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में अब एक की जगह दो उपाध्यक्ष होंगे।
हंगामे के बीच फैसले
गैरसैंण सत्र हंगामे, विरोध और तनाव से भले ही याद किया जाएगा, लेकिन सरकार के लिए यह अहम रहा क्योंकि सभी बड़े विधेयक पारित हो गए। यह सत्र लंबे समय तक उत्तराखंड की राजनीति में चर्चा का केंद्र रहेगा।