
देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज 5 मार्च को केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक हुई, जिसमें उत्तराखंड के दो प्रमुख धार्मिक स्थलों—केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले से श्रद्धालुओं को बड़ी राहत मिलेगी। इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 6811 करोड़ रुपये आंकी गई है और इन्हें 6 वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
12.9 किमी लंबा होगा केदारनाथ रोपवे, श्रद्धालुओं की यात्रा होगी सुगम
उत्तराखंड में पर्वतमाला परियोजना के तहत सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना को मंजूरी मिली है। इस परियोजना की कुल लागत 4081 करोड़ रुपये होगी। रोपवे के निर्माण से सोनप्रयाग-गौरीकुंड-केदारनाथ मार्ग की 18 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा अब बेहद आसान हो जाएगी।
इस रोपवे में 20 टावर लगाए जाएंगे और तीन प्रमुख स्टेशन—सोनप्रयाग, गौरीकुंड और केदारनाथ—बनाए जाएंगे। चीरबासा और लिनचोली में छोटे स्टेशन भी होंगे। इस परियोजना के तहत 10-12 ट्रॉलियां एक साथ चलेंगी, जिनमें प्रति घंटे 500 से 1000 श्रद्धालु यात्रा कर सकेंगे।
हेमकुंड साहिब रोपवे: 12.4 किमी का सफर अब सिर्फ 42 मिनट में
कैबिनेट ने हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना को भी मंजूरी दे दी है। यह रोपवे गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किलोमीटर लंबा होगा और इसकी लागत 2730 करोड़ रुपये आंकी गई है।
इस रोपवे के बन जाने से घांघरिया, जो फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार है, को भी जोड़ा जाएगा। इससे न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी रफ्तार मिलेगी। हेमकुंड साहिब की एक दिन की यात्रा अब केवल 42 मिनट में पूरी हो सकेगी।
उत्तराखंड में पर्यटन और आस्था को मिलेगी नई ऊंचाई
इन दोनों रोपवे परियोजनाओं से केदारनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा पहले से अधिक सुगम, सुरक्षित और सुविधाजनक होगी। खासकर बुजुर्ग और शारीरिक रूप से अक्षम श्रद्धालुओं के लिए यह एक बड़ी राहत होगी। इन परियोजनाओं के पूरा होने से उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को नए आयाम मिलेंगे और राज्य के आर्थिक विकास को मजबूती मिलेगी।