मुजफ्फरनगर दंगे में डकैती और आगजनी के 7 आरोपी बरी,
510 मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें 175 मामलों में एसआइटी ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की

Muzaffarnagar Crime News: मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान डकैती और आगजनी के मामले में साक्ष्य के अभाव में सात आरोपियों को बरी कर दिया गया। वादी मुकदमा सहित सभी गवाह पक्षद्रोही हो गए थे। फास्ट ट्रैक कोर्ट-3 ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद यह फैसला सुनाया। यह मामला काफी चर्चा में रहा।मुजफ्फरनगर: दंगे के दौरान डकैती और घर में आगजनी मामले में साक्ष्य के अभाव में सात आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया गया। वादी मुकदमा सहित सभी गवाह पक्षद्रोही हो गए थे। बचाओ पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल चौधरी ने बताया कि शामली में थाना फुगाना क्षेत्र के गांव बहावड़ी में आठ सितंबर 2013 की रात एक घर में डकैती डालने के बाद आगजनी की गई थी। पीड़ित अय्यूब ने घटना के 10 दिन बाद आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल चौधरी ने बताया कि गांव बहावड़ी निवासी लोकेश, आशीष, नीटू, कुलदीप उर्फ कुल्ली, अरविंद, नरेश, भोलू समेत करीब 200 अज्ञात व्यक्ति आठ सितंबर 2013 की रात को उनके घर में घुस गए थे। आरोपियों ने नारेबाजी करते हुए उनके घर को घेर लिया और अंदर घुसकर लूटपाट की। इस दौरान उसकी पत्नी के आभूषण एवं अन्य सामान लूट लिया गया, जबकि लाखों रुपये का सामान तोड़फोड़ दिया गया। वह किसी तरह अपनी जान बचाकर वहां से भागे। इसके बाद हमलावरों ने उनके घर में आग लगा दी, जिससे उनका काफी नुकसान हुआ। किसी तरह परिवार के साथ कैराना राहत शिविर में पहुंचकर उन्होंने शरण ली।मामले में साक्ष्य का आभाव
अभियोजन के अनुसार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर एसआइटी ने मामले की विवेचना कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी थी। घटना के मुकदमे की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट-3 में हुई। अभियोजन की ओर से कोर्ट में छह गवाह पेश किए गए। कोर्ट ने दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद साक्ष्य के अभाव में सभी सात आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।दंगों के 510 में से सिर्फ तीन मुकदमा में हुई सजा
27 अगस्त 2013 को जानसठ क्षेत्र के गांव कवाल में ममेरे भाईयों सचिन और गौरव निवासी मलिकपुरा और कवाल निवासी शाहनवाज की हत्या से तनाव व्याप्त हो गया था। फिर 7 सितंबर 2013 को नंगला मंदौड़ में पंचायत हुई। पंचायत से लौट रहे लोगों का टकराव होने पर जनपद भर में सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था। दंगे के दौरान 60 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि 50 हजार से अधिक लोगों को पलायन करना पड़ा था।सभी घटनाओं पर 510 मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें 175 मामलों में एसआइटी ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। वहीं 165 मामलों में साक्ष्य के अभाव में एफआरआई लगा दी गई। झूठे पाए जाने पर 170 मुकदमे खारिज किए गए। 10 वर्ष के दौरान करीब 100 से अधिक मुकदमों में आए फैसले में 1100 से अधिक आरोपित बरी हो गए। वहीं, दंगे के दौरान दुष्कर्म के दर्ज अलग-अलग सात मुकदमों में से केवल एक में दोषियों को सजा मिली है। इनमें महेशवीर और सिकंदर को 20 वर्ष कैद की सजा सुनाई गई।