मुजफ्फरनगर /उत्तर प्रदेश : ( एजेंसी)18 अक्टूबर 1976 को आपातकाल का एक नया अध्याय लिखा गया था। नसबंदी अभियान का विरोध कर रहे लोगों ने शहर के खालापार में हंगामा किया था। पुलिस ने उन पर सीधी गोली चला दी थी, जिसमें पुलिस की गोली लगने से 42 लोगों की मौत हो गई थी। आपका कथन आंशिक रूप से सही है, लेकिन पूरी तरह सटीक नहीं है। नसबंदी गोलाकांड और 1976 का चुनाव: नसबंदी गोलाकांड निश्चित रूप से 1975 के आपातकाल के दौरान हुआ था और इसने जनता में काफी रोष पैदा किया था।
नसबंदी का विरोध करने पर आज ही के दिन 48 साल पहले 42 लोगों की हत्या हुई थी, पुलिस ने भून डाला था
चुनाव परिणाम कई कारकों पर निर्भर करते हैं, जिनमें स्थानीय मुद्दे, पार्टी की छवि, उम्मीदवार की लोकप्रियता आदि शामिल होते हैं। केंद्र में सरकार का बदलना: यह सच है कि 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी की जीत हुई थी और इंदिरा गांधी की सरकार गिर गई थी।
लेकिन 1976 के चुनाव में सरकार नहीं बदली थी। 1975 का आपातकाल: यह एक काला अध्याय था जब कई नागरिक स्वतंत्रताएं छीनी गई थीं। नसबंदी जैसे जबरन कार्यक्रमों ने जनता का गुस्सा बढ़ाया। 1977 का लोकसभा चुनाव: यह चुनाव आपातकाल के विरोध में एक जनमत संग्रह के रूप में देखा गया था। जनता पार्टी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की। सईद मुर्तजा की जीत: मुजफफरनगर सीट पर उनकी जीत स्थानीय राजनीतिक परिदृश्य और अन्य कारकों पर भी निर्भर करती होगी।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में आपातकाल का एक काला अध्याय शहर के खालापार में आज के ही दिन लिखा गया था। नसबंदी अभियान का विरोध करने पर पुलिस ने आंदोलनकारी लोगों पर सीधी गोली चला दी थी, जिसमें पुलिस की गोली लगने से 42 लोगों की मौत हो गई थी। 25 जून 1975 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की संस्तुति पर राष्ट्रपति ने आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल के दौरान देश एक ओर राजनीतिक संकट से जूझ रहा था। उधर, नसबंदी अभियान के विरोध में लोगों के दिलों में गुस्सा था। सरकारी विभागों ने सोल्जर्स बोर्ड और जिला अस्पताल में कैंप लगा रखे थे। बुजुर्ग और जवानों को जबरदस्ती पकड़कर नसबंदी के लिए कैंप में लाया जा रहा था। जिसके विरोध में 18 अक्टूबर 1976 को लोगों में आक्रोश फैल गया था। आक्रोशित लोगों ने शहर में हंगामा किया था। खालापार में उपद्रव दबाने के लिए पुलिस ने आंदोलकारियों पर सीधी फायरिंग कर दी थी।
गोलीकांड में मारे गए लोगों की याद में खालापार में शहीद चौक की स्थापना की गई थी। शहर में तीन दिन तक लगाना पड़ा था कर्फ्यू नसबंदी कांड ने बदल दी थी देश की सरकार नसबंदी के विरोध में हुए गोलीकांड के बाद ही देश की सरकार बदल गई थी। 1976 में हुए लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर सीट से सईद मुर्तजा विजयी हुए थे। आम चुनाव के बाद केंद्र में सरकार भी बदल गई थी।
घटना के 48 साल बीतने के बावजूद आज तक रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई।
क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर पुलिस की गोली लगने से 42 लोग मारे गए थे। दर्जनों घायल हुए। हंगामा कर रहे सैकड़ों लोगों को पुलिस ने मौके से गिरफ्तार किया था। तीन दिन तक शहर में कर्फ्यू जारी रहा था। जिसके बाद शासन ने तत्कालीन डीएम का स्थानांतरण कर योगेन्द्र नारायण माथुर को जिले की कमान सौंपी थी । घटना के 48 साल बीतने के बावजूद आज तक रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। तीन माह पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेता प्रतिपक्ष पर हमला बोलते हुए संसद में इस मुद्दे को उठाया था।