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केंद्र की मोदी सरकार द्वारा बासमती धान पर “निर्यात मूल्य सीमा” हटाने से देश के बासमती के किसान को लाभ होगा-अशोक बालियान

बासमती की क़ीमतें गिरने का एक कारण बासमती के निर्यात पर "न्यूनतम निर्यात मूल्य सीमा" लागू करना था।

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने और देश के कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार में और मजबूती दिलाने के लिए बासमती धान पर “निर्यात मूल्य सीमा” हटा कर मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।इससे किसानों और निर्यातकों को राहत मिलेगी।
पीजेंट वेलफ़ेयर के चेयरमैन अशोक बालियान ने 20 अगस्त 2024 को केंद्रीय खाद्य मन्त्री श्री प्रल्हाद जोशी व केंद्रीय वाणिज्य मन्त्री श्री पीयूस गोयल को बासमती धान के गिरते मूल्य के संबंध में पत्र लिखते हुए कहा है था कि देश में बासमती चावल की कीमतों में सीजन से पहले ही गिरावट शुरू हो गई है।एक साल पहले की तुलना में बासमती धान के दाम 27-28 फीसदी तक कम हो गए है और कीमतें गिरकर 2500 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच गई है,जबकि पिछले साल इसी समय बासमती धान की कीमतें 3200 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच थीं।बासमती की क़ीमतें गिरने का एक कारण बासमती के निर्यात पर “न्यूनतम निर्यात मूल्य सीमा” लागू करना था।
भारत सरकार द्वारा बासमती निर्यात के लिए बासमती पर 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लागू किया हुआ था,जिसके कारण बासमती का निर्यात प्रभावित हो रहा था।दूसरी ओर, पाकिस्तान में बासमती पर निर्यात के लिए “निर्यात मूल्य सीमा” केवल 700 डॉलर प्रति टन है, जिसके चलते विश्व के अनेक देशों में उनके बासमती की मांग बढ़ी रही थीं।
पीजेंट वेलफ़ेयर एसोशिएसन के चेयरमैन अशोक बालियान की माँग पर मोदी सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर लगी न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) की सीमा को हटाने का बड़ा फैसला किया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान जारी करते हुए इस फैसले की जानकारी दी हैं।
केंद्र की मोदी सरकार का यह कदम किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है, जिससे भारत के प्रमुख जीआई-टैग वाले बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा मिल सके।हम केंद्र सरकार को किसान हित के इस कार्य को करने पर उनको बधाई देते है।

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