
श्रीनगर, 26 अप्रैल 2025: भारत सरकार द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को निलंबित किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वे शुरू से ही इस संधि के पक्ष में नहीं रहे हैं, क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर के हितों के विरुद्ध है। उनका कहना है कि यह संधि प्रदेश के संसाधनों पर अन्यायपूर्ण नियंत्रण थोपती है और इसे अब नए सिरे से देखे जाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को श्रीनगर में व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा, “हमने हमेशा से महसूस किया है कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे अनुचित दस्तावेजों में से एक है। अब जब केंद्र सरकार ने इसे निलंबित किया है, तो इसका पुनर्मूल्यांकन होना चाहिए।”
पहलगाम आतंकी हमले पर शोक
उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें 26 पर्यटकों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि इस हमले से न केवल मानवीय क्षति हुई है, बल्कि कश्मीर के पर्यटन उद्योग को भी भारी नुकसान पहुँचा है। उन्होंने कहा, “यह केवल आर्थिक नुकसान नहीं है, यह पूरे समुदाय की आजीविका पर असर डालता है। टैक्सी चालक, होटल मालिक, दुकानदार — सभी प्रभावित होते हैं।”
छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंता
मुख्यमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के बाहर पढ़ने वाले छात्रों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने बताया कि कई छात्रों में असुरक्षा की भावना पनप रही है, खासकर हमले के बाद। उन्होंने कहा, “गृह मंत्री ने मुझे आश्वासन दिया है कि छात्रों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे। इसके अलावा, मैंने खुद विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की है और आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।”
मीडिया को भी दी चेतावनी
अपने बयान में अब्दुल्ला ने कुछ मीडिया संस्थानों पर भी निशाना साधा और कहा कि वे धर्म के नाम पर समाज को बांटने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से एकजुट रहने की अपील की और श्रीनगर की जामिया मस्जिद में पहलगाम हमले के पीड़ितों के लिए दो मिनट का मौन भी रखा।
यह बयान एक ऐसे समय में आया है जब राज्य और देश में सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता बनी हुई है।