चारधाम यात्रा का समापन, अब शीतकालीन चारधाम यात्रा की तैयारी में जुटी धामी सरकार — बर्फ, भक्ति और पर्यटन का संगम बनेगा उत्तराखंड
Chardham Yatra concludes, Dhami government now busy preparing for winter Chardham Yatra

देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इस महीने के अंत तक तीन धामों के कपाट बंद हो जाएंगे, जबकि बदरीनाथ धाम के द्वार 25 नवंबर को बंद होंगे। इसके साथ ही राज्य की धामी सरकार ने शीतकालीन चारधाम यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी हैं। यह यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक अनुभव देती है, बल्कि सर्दियों के मौसम में राज्य के पर्यटन को नई उड़ान भी प्रदान करती है।
चारधाम कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू
पर्यटन विभाग के अनुसार, गंगोत्री धाम के कपाट 22 अक्टूबर, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट 23 अक्टूबर को बंद होंगे। वहीं, बदरीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को दोपहर 2:56 बजे बंद किए जाएंगे। इस दौरान भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में की जाएगी, जबकि भगवान बदरीनाथ की गद्दी ज्योतिर्मठ के नृसिंह मंदिर में विराजमान होगी।
पर्यटन सचिव ने दिए संकेत
सचिव धीराज गर्ब्याल ने बताया कि मानसून की चुनौतियों के बावजूद इस वर्ष चारधाम यात्रा में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। अब तक 59 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीकरण कराया, जिसमें से सबसे अधिक 20 लाख केदारनाथ, 18 लाख बदरीनाथ, 10 लाख गंगोत्री और 9 लाख यमुनोत्री पहुंचे। उन्होंने कहा कि अब सरकार शीतकालीन यात्रा को लेकर नई रणनीति बना रही है, ताकि यात्रियों को सर्दियों में भी आध्यात्मिक और साहसिक अनुभव मिल सके।
चारधाम यात्रा शीतकालीन — एक नई धार्मिक अवधारणा
शीतकालीन चारधाम यात्रा की पहल ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने की थी। उनकी प्रेरणा से राज्य सरकार ने इस यात्रा को संरचित रूप दिया। साल 2023 में पहली बार आधिकारिक रूप से शीतकालीन यात्रा की शुरुआत हुई, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ओंकारेश्वर मंदिर से किया था।
मुख्य शीतकालीन स्थल और आकर्षण
शीतकालीन यात्रा में चारों धामों के शीतकालीन गद्दी स्थल शामिल हैं —
- खरसाली (यमुनोत्री): मां यमुना की पूजा
- मुखबा (गंगोत्री): मां गंगा की आराधना
- ऊखीमठ (केदारनाथ): बाबा केदार का प्रवास
- ज्योतिर्मठ (बदरीनाथ): भगवान नृसिंह और उद्धव-कुबेर की पूजा
इन स्थलों के आसपास तुंगनाथ, देवरियाताल, त्रियुगीनारायण, औली जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं, जो शीतकालीन यात्रा को और आकर्षक बनाते हैं।
पर्यटन और अर्थव्यवस्था को नया बल
पर्यटन विभाग के अनुसार, वर्ष 2024-25 में 77,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने शीतकालीन यात्रा में हिस्सा लिया, जिससे जीएमवीएन को 12.82 करोड़ रुपये की आय हुई। सरकार अब इस यात्रा को एडवेंचर टूरिज्म से जोड़कर नया सर्किट विकसित करने की योजना पर काम कर रही है।
धामी सरकार की यह पहल न केवल राज्य के आध्यात्मिक पर्यटन को सशक्त बनाएगी, बल्कि उत्तराखंड को 12 महीने पर्यटन राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम साबित होगी — जहां श्रद्धा और साहस, दोनों का संगम देखने को मिलेगा।