
देहरादून: उत्तराखंड के गठन को 25 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा आज भी अधूरा है। इस जटिल मसले को सुलझाने के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री—उत्तराखंड के पुष्कर सिंह धामी और उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ—जल्द ही एक अहम बैठक करने वाले हैं। इस बैठक में कई लंबित विषयों पर चर्चा होगी, जिनमें सबसे प्रमुख मुद्दा नेपाल-उत्तराखंड को जोड़ने वाले बनबसा बैराज की रेट्रो फिटिंग है।
100 साल पुराना बनबसा बैराज, अब बन गया है खतरे की घंटी
उत्तराखंड के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि बनबसा बैराज अपनी 100 वर्ष की आयु पूरी कर चुका है। यह बैराज न केवल उत्तराखंड बल्कि नेपाल के साथ संपर्क का भी महत्वपूर्ण जरिया है। यदि इसकी रेट्रो फिटिंग नहीं की गई तो यह गंभीर खतरा बन सकता है। महाराज के अनुसार उत्तर प्रदेश से आग्रह किया जाएगा कि या तो वह खुद बैराज की मरम्मत करे या फिर उत्तराखंड को इसकी जिम्मेदारी दे।
इकबालपुर नहर और अतिरिक्त पानी पर भी उठेगा मुद्दा
मंत्री ने बताया कि इकबालपुर नहर में पानी की मात्रा कम होने से सिंचाई प्रभावित हो रही है। उत्तराखंड यूपी को 4000 क्यूसेक पानी दे रहा है, जबकि यूपी को केवल 3000 क्यूसेक की जरूरत है। ऐसे में 650 क्यूसेक अतिरिक्त पानी इकबालपुर नहर में दिया जा सकता है। यह विषय भी बैठक में उठाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश की जमीनों पर भी दावा करेगी उत्तराखंड सरकार
सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तर प्रदेश की कई जमीनें उत्तराखंड में स्थित हैं, जिन पर अतिक्रमण की आशंका बनी रहती है। ऐसे में उत्तराखंड की मंशा है कि इन जमीनों को अपने अधीन ले लिया जाए, ताकि राज्य के सीमित लैंड बैंक को मजबूती मिल सके।
निष्कर्ष: बड़ी उम्मीदों से देखी जा रही है बैठक
मुख्यमंत्री धामी और योगी आदित्यनाथ के बीच प्रस्तावित बैठक को उत्तराखंड के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। यह न केवल परिसंपत्ति विवाद सुलझाने की दिशा में कदम हो सकता है, बल्कि लंबे समय से अटके विकास कार्यों को भी नई रफ्तार मिल सकती है।