
श्रीनगर में मूल निवास और सशक्त भू-कानून की मांग को लेकर संघर्ष तेज हो गया है। मूल निवास-भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने इन मुद्दों पर आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया है। इस कड़ी में 30 दिसंबर को टिहरी जिले के कीर्तिनगर में पहली महापंचायत आयोजित होगी, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधि शामिल होंगे।
महापंचायत के एजेंडे पर जोर
गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी ने बताया कि समिति ब्लॉक स्तर पर बैठकों का आयोजन कर रही है। महापंचायत में सशक्त भू-कानून लागू करने और मूल निवास व्यवस्था बहाल करने की मांग जोर-शोर से उठाई जाएगी। प्रधान संगठन कीर्तिनगर और अन्य सामाजिक संगठनों ने इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया है।
सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
अरुण नेगी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मूल निवास और भू-कानून के मुद्दे पर सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। उन्होंने कहा कि कमजोर भू-कानून की वजह से बाहरी भू-माफिया राज्य में हावी हो गए हैं, जिससे स्थानीय काश्तकार भूमिहीन हो रहे हैं। उन्होंने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि उत्तराखंड में भी सशक्त भू-कानून लागू किया जाना चाहिए।
मूल निवास और भू-कानून की आवश्यकता
नेगी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य बनने के 23 साल बाद भी मूल निवासियों को नौकरियों और रोजगार में प्राथमिकता नहीं मिल रही है। बाहरी लोगों को इसका लाभ मिल रहा है, जिससे राज्य के निवासियों की पहचान और अधिकारों पर खतरा मंडरा रहा है।
सभी जनप्रतिनिधियों से एकजुट होने की अपील
प्रधान संगठन के निवर्तमान अध्यक्ष सुनय कुकशाल ने कहा कि इस मुद्दे पर सभी जनप्रतिनिधियों को एक मंच पर आकर मूल निवास और सशक्त भू-कानून की लड़ाई लड़नी होगी।
आंदोलन की रणनीति
उत्तराखंड के मूल निवासियों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए संघर्ष समिति राज्य आंदोलन की तर्ज पर बड़े स्तर पर अभियान चलाने की तैयारी कर रही है। महापंचायतों के जरिए जनता को जागरूक किया जाएगा और सरकार पर दबाव डाला जाएगा।