
देहरादून : उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के चर्चित पेपर लीक मामले में दो साल बाद, तत्कालीन सचिव संतोष बडोनी की बहाली का फैसला लिया गया है। खास बात यह है कि बडोनी पर अब तक कोई आरोप तय नहीं किया जा सका और जांच में उन्हें क्लीन चिट मिली थी।
निलंबन के बावजूद बडोनी पर नहीं लगाए गए आरोप
उत्तराखंड सरकार ने संतोष बडोनी को 2 साल पहले निलंबित कर दिया था, लेकिन इस दौरान उन पर कोई आरोप नहीं लगाया गया। 2022 में हुए पेपर लीक मामले में बडोनी के खिलाफ विजिलेंस, एसटीएफ और आयोग की जांचों में कोई संलिप्तता नहीं पाई गई।
निलंबन के नियमों का उल्लंघन, 2 साल बाद बहाली
किसी भी अधिकारी के निलंबन के बाद तीन महीने के भीतर आरोप पत्र दाखिल किया जाना चाहिए था, लेकिन बडोनी के मामले में यह प्रक्रिया 2 साल तक टलती रही। नियमों के अनुसार, छह महीने में आरोप पत्र नहीं होने पर अधिकारी को बहाल कर दिया जाता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ।
निलंबन के दौरान बडोनी की भूमिका पर सवाल
बडोनी को निलंबित करने के बाद, सचिवालय प्रशासन विभाग ने उन्हें लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था, लेकिन जांचों में यह आरोप साबित नहीं हुआ। इसके बावजूद, उन्हें लंबे समय तक निलंबित रखा गया।
पेपर लीक मामला और राजनीति में हलचल
2022 में उत्तराखंड में स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक होने से राज्य में हड़कंप मच गया था, जो राष्ट्रीय राजनीति का भी विषय बन गया। इस मामले में 35 से अधिक गिरफ्तारियां हुई थीं और कई जांच एजेंसियां मामले की तह तक पहुंचने में जुटी थीं।
बडोनी की बहाली के बाद की स्थिति
अब, 2 साल बाद बडोनी को उनके निलंबन से बहाल कर दिया गया है, लेकिन उन्हें अभी कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है। सचिवालय प्रशासन विभाग ने बहाली का आदेश जारी करते हुए उनकी निलंबन अवधि के सभी वेतन भत्ते देने का निर्देश भी दिया है।