उत्तराखंड

उत्तराखंड को खनन तत्परता सूचकांक में दूसरा स्थान, मिला 100 करोड़ का प्रोत्साहन

Uttarakhand ranks second in the Mining Preparedness Index, receives incentives worth Rs 100 crore

देहरादून: उत्तराखंड ने खनन क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। केंद्र सरकार के नवीनतम स्टेट माइनिंग रेडीनेस इंडेक्स (SMRI) में उत्तराखंड ने अपनी श्रेणी में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। इस उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राज्य को 100 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा। यह सम्मान खनन क्षेत्र में पारदर्शिता, तकनीकी नवाचार और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में राज्य सरकार के प्रयासों की बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।


खनन नीतियों में सुधार का राष्ट्रीय अभियान

केंद्रीय खनन मंत्रालय ने राज्य स्तर पर खनन नीतियों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार लाने के उद्देश्य से एसएमआरआई पहल शुरू की है। यह योजना वित्त मंत्रालय की पूंजी निवेश के लिए विशेष सहायता योजना (SASCI) 2025-26 के तहत लागू की जा रही है। कुल 5,000 करोड़ रुपये के बजट वाली इस योजना में से 900 करोड़ रुपये उन राज्यों को प्रोत्साहन के रूप में दिए जा रहे हैं जिन्होंने खनन तत्परता सूचकांक में शीर्ष तीन स्थान हासिल किए हैं।


राज्यों का खनिज संपदा के आधार पर वर्गीकरण

खनन मंत्रालय ने राज्यों को उनकी खनिज संपदा के अनुसार तीन श्रेणियों—‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’—में विभाजित किया है। श्रेणी ‘ए’ में खनिज-समृद्ध राज्य, ‘बी’ में मध्यम संसाधन वाले और ‘सी’ में सीमित खनन संसाधन वाले राज्य शामिल हैं। उत्तराखंड को श्रेणी ‘सी’ में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। यह रैंकिंग राज्य की पारदर्शी खनन नीतियों, अवैध खनन पर सख्त नियंत्रण और तकनीकी नवाचारों का परिणाम है।


मुख्यमंत्री धामी ने सफलता को बताया टीमवर्क का परिणाम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि राज्य सरकार ने खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और पर्यावरण संतुलन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा, “अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई और कर चोरी के खिलाफ निरंतर निगरानी से राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।” मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य का खनन राजस्व पिछले वर्ष की तुलना में 800 करोड़ रुपये बढ़ा है।


अन्य राज्य अपना रहे उत्तराखंड का मॉडल

धामी ने यह भी बताया कि उत्तराखंड के पारदर्शी और तकनीक-आधारित खनन मॉडल की सफलता से हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य प्रेरित हैं। ये राज्य उत्तराखंड की नीतियों का अध्ययन कर अपने यहां लागू करने की दिशा में काम कर रहे हैं।


विकास और पर्यावरण संरक्षण में संतुलन

राज्य सरकार का लक्ष्य खनन को केवल राजस्व का स्रोत नहीं, बल्कि स्थानीय रोजगार और पर्यावरण संरक्षण का साधन बनाना है। डिजिटल परमिट, जीआईएस निगरानी और ऑनलाइन ट्रैकिंग जैसी तकनीकी प्रणालियों से पारदर्शिता बढ़ी है, जिससे अवैध खनन पर रोक लगी है।

उत्तराखंड की यह उपलब्धि न केवल प्रशासनिक दक्षता का प्रतीक है, बल्कि यह अन्य पर्वतीय राज्यों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी बन गई है।

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