उत्तराखंड के जंगलों में बारिश का कहर, वन्यजीवों का पलायन और मानव-वन संघर्ष बढ़ा
Rain wreaks havoc in Uttarakhand forests, wildlife migration and human-forest conflict on the rise

देहरादून: उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में इस साल की भीषण बरसात ने न केवल लोगों की जिंदगी प्रभावित की है, बल्कि जंगलों और वन्यजीवों के आवासों को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया है। लगातार हो रही बारिश, बादल फटने और भूस्खलनों ने जंगलों के पारिस्थितिकी तंत्र को झकझोर दिया है, जिससे कई वन्य जीव सुरक्षित ठिकानों को छोड़कर नई जगहों की ओर पलायन कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे वन्यजीवों के व्यवहार में बदलाव और मानव-वन्यजीव संघर्ष का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।
जंगलों के मार्ग हुए खतरनाक
भारी बारिश के कारण जंगलों के पुराने मार्ग और वन्यजीवों के आवागमन वाले रास्ते प्रभावित हुए हैं। विशेष रूप से शिकारी जीव—गुलदार और भालू—को भोजन की तलाश में लंबा सफर करना पड़ रहा है। इससे उनका तनाव बढ़ा है और इंसानी बस्तियों के करीब आने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
कीड़ों और मच्छरों ने बढ़ाई परेशानी
बरसात में कीड़ों और मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ जाती है, जिससे वन्यजीव ऊंची और सुरक्षित जगहों की ओर शरण लेते हैं। लेकिन लगातार हो रहे भूस्खलन उन्हें और आगे पलायन के लिए मजबूर करते हैं।
वास स्थलों में भर रहा पानी
उत्तराखंड वन विभाग के पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ रंजन कुमार मिश्रा के अनुसार, भालुओं की गुफाओं और अन्य वास स्थलों में पानी भरने से संकट गहरा गया है। कई भालू अब मानव बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं। वन विभाग की टीमें लगातार निगरानी रख रही हैं और लोगों को सतर्क रहने की अपील कर रही हैं।
बढ़ती आक्रामकता और मानव-वन संघर्ष
बीते महीनों में वन्यजीवों के हमलों में वृद्धि दर्ज की गई है। सतपुली में भालू के हमले और पौड़ी में गुलदार के हमले की घटनाओं ने हालात की गंभीरता को दिखाया है। इस साल अब तक 32 लोगों की मौत और 236 लोग घायल हुए हैं। बाघों के हमले में 11, गुलदार में 7 और हाथियों में 6 लोगों की जान गई।
विशेषज्ञों की राय और सतर्कता
राजाजी टाइगर रिजर्व के ऑनरेरी वार्डन राजीव तलवार ने बताया कि भारी बारिश और आपदा के बाद भालू और स्नो लेपर्ड सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। भोजन और आवास की कमी के कारण इनके व्यवहार में बदलाव और आक्रामकता बढ़ी है। वन विभाग ने ग्रामीणों को सतर्क रहने और बच्चों व मवेशियों को अकेला न छोड़ने की सलाह दी है।
उत्तराखंड की यह प्राकृतिक आपदा न केवल इंसानों को प्रभावित कर रही है, बल्कि जंगलों की पारिस्थितिकी और वन्यजीवों की सुरक्षा पर भी गंभीर असर डाल रही है। मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए वन विभाग और स्थानीय समुदाय का सतर्क सहयोग आवश्यक है।