
देहरादून: उत्तराखंड में ऊर्जा निगम बकाया वसूली के लिए समय-समय पर अभियान चलाता रहा है, लेकिन करोड़ों रुपये अब भी बकाया हैं। बकाया रखने वालों में न केवल घरेलू उपभोक्ता और व्यावसायिक उपयोगकर्ता शामिल हैं, बल्कि सरकारी विभाग भी इस सूची में हैं।
सबसे अधिक बकाया घरेलू उपभोक्ताओं पर है, जिन पर कुल 850 करोड़ रुपये बकाया है। इसके अलावा, सरकारी विभागों पर लगभग 700 करोड़ रुपये का बकाया लंबित है। हैरानी की बात यह है कि विभागों को बार-बार पत्र लिखने और रिमाइंडर देने के बावजूद भुगतान में दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है।
हरिद्वार जिले में सबसे अधिक बकाया
ऊर्जा निगम के लिए सबसे बड़ी चुनौती हरिद्वार जिले में बकाया वसूली है। इस जिले में घरेलू उपभोक्ताओं पर सबसे अधिक बकाया है, जिससे वसूली करना कठिन हो गया है।
कमर्शियल उपभोक्ताओं पर 200 करोड़ का बकाया
कमर्शियल उपभोक्ताओं पर 200 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। इनमें हेवी इंडस्ट्री और लाइट इंडस्ट्री के उपभोक्ता शामिल हैं, जिन पर लगभग 190 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है।
सरकारी विभागों का रवैया निराशाजनक
सरकारी विभागों के रवैये ने भी ऊर्जा निगम की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऊर्जा विभाग के सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि बकाया वसूली के लिए विभागों से बातचीत की जाएगी और जल्द ही विशेष अभियान चलाकर भुगतान की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा।
वसूली के लिए कठोर कदम
ऊर्जा निगम ने बकाया वसूली के लिए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। घरेलू उपभोक्ताओं का कनेक्शन काटने तक की कार्रवाई की जा रही है। निगम का कहना है कि बकाया भुगतान न करने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।
प्रदेश में बकाया वसूली की स्थिति
- घरेलू उपभोक्ता: ₹850 करोड़
- सरकारी विभाग: ₹700 करोड़
- कमर्शियल उपभोक्ता: ₹200 करोड़
- हेवी और लाइट इंडस्ट्री: ₹190 करोड़
निष्कर्ष:
उत्तराखंड में ऊर्जा निगम की बकाया राशि 2000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। वसूली के लिए विशेष अभियान और कठोर कदम उठाए जा रहे हैं। ऊर्जा विभाग ने इसे प्राथमिकता के साथ हल करने का वादा किया है, लेकिन सरकारी विभागों और अन्य उपभोक्ताओं का रवैया बदलना जरूरी है ताकि यह समस्या जल्द समाप्त हो सके।