
देहरादून: उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जल्द जारी होने की संभावना है, और इसके साथ ही चुनावी तैयारियां तेज हो गई हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने पहली बार चुनावी प्रक्रिया में व्यय पर्यवेक्षकों (Expenditure Supervisors) की तैनाती का निर्णय लिया है। यह कदम चुनाव में पैसे और शराब के उपयोग को रोकने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
व्यय मॉनिटरिंग तंत्र होगा मजबूत
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जिलों में व्यय नियंत्रण तंत्र विकसित किया जाएगा, जिसमें प्रशासन, आबकारी विभाग और पुलिस विभाग की टीमों को शामिल किया जाएगा। ये टीमें प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों द्वारा किए जाने वाले खर्च की निगरानी करेंगी और छापेमारी अभियान चलाएंगी।
प्रत्याशियों की व्यय सीमा बढ़ी
आयोग ने छह साल बाद निकाय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की खर्च सीमा में वृद्धि की है। आयोग का कहना है कि इस बदलाव से चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और प्रत्याशी अपनी गतिविधियों को नियमों के दायरे में रख पाएंगे।
पहली बार व्यय पर्यवेक्षक तैनात
राज्य निर्वाचन आयोग ने यह भी बताया कि निकाय चुनावों में पहली बार व्यय पर्यवेक्षकों की तैनाती की जाएगी। इससे पहले यह व्यवस्था केवल विधानसभा चुनावों में लागू होती थी। यह व्यवस्था आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भी लागू की जाएगी।
चुनाव में पारदर्शिता लाने की पहल
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल कुमार गोयल ने कहा कि प्रत्याशियों के खर्च की मॉनिटरिंग के लिए राज्य और जिला स्तर पर व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि चुनावी प्रक्रिया में अनुशासन और पारदर्शिता बनी रहे।
दिसंबर के अंत तक अधिसूचना की उम्मीद
निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन संभावना है कि दिसंबर के अंत तक अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। राज्य में इस नई पहल के साथ, निकाय चुनावों में चुनावी खर्च की पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्राथमिकता दी जा रही है।
यह कदम निर्वाचन आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि राज्य में चुनावी प्रक्रिया को सुगम, पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए।