
देहरादून: उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बजट सत्र के दौरान उनके विवादित बयान को लेकर राज्यभर में भारी विरोध हो रहा था, जिससे सरकार पर भी दबाव बढ़ गया था। इस बीच उन्होंने अचानक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने इस्तीफे की घोषणा की।
बढ़ते विरोध के चलते लिया फैसला
प्रेमचंद अग्रवाल के बयान के बाद पूरे प्रदेश में जनता और विपक्षी दलों ने उग्र प्रदर्शन शुरू कर दिए थे। हालात इतने बिगड़ गए कि उन्हें सार्वजनिक रूप से खेद जताना पड़ा और हरिद्वार में गंगा किनारे पहुंचकर क्षमा याचना भी करनी पड़ी। लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ और विरोध की आग लगातार भड़कती रही। इसी के चलते आज उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला लिया।
क्या है पूरा मामला?
21 फरवरी 2025 को बजट सत्र के दौरान प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा में एक बयान दिया, जिसे विपक्ष ने आपत्तिजनक बताया। अगले दिन जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी दलों ने उनसे माफी की मांग की और तीखा विरोध जताया।
प्रदेशभर में बढ़ता आक्रोश
- कांग्रेस के विधायक लखपत बुटोला ने सदन में दस्तावेज फाड़कर विरोध दर्ज कराया।
- जगह-जगह प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन किए गए।
- इस बयान के विरोध में गैरसैंण में ‘पहाड़ी स्वाभिमान रैली’ का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
इस्तीफे से क्या बदलेगा?
बढ़ते विरोध और सियासी दबाव को देखते हुए प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे को अब राज्य सरकार की बड़ी सियासी चाल भी माना जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस विवाद के बाद क्या कदम उठाती है और विपक्ष इसे किस तरह भुनाने की कोशिश करता है।