
ऋषिकेश: प्लास्टिक कचरा हमारे शहरी जीवन की प्रमुख चुनौतियों में से एक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “रिड्यूस, रियूज और रिसाइकल” के सिद्धांत को अपनाते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और ऋषिकेश नगर निगम ने प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन में एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया है। तीर्थनगरी ऋषिकेश, जो राफ्टिंग और कैम्पिंग के लिए प्रसिद्ध है, में प्लास्टिक कचरे का बढ़ता बोझ एक बड़ी समस्या थी। लेकिन नगर आयुक्त शैलेंद्र सिंह नेगी के नेतृत्व में इसे कुशलतापूर्वक हल किया जा रहा है।
प्लास्टिक बैंक से बदली तस्वीर
ऋषिकेश नगर निगम ने आईएसबीटी, त्रिवेणी घाट, और वीरभद्र में प्लास्टिक बैंक स्थापित किए, जो पुराने प्लास्टिक बोतलों से बनाए गए हैं। ये प्लास्टिक बैंक लोगों को कचरा फेंकने के लिए प्रेरित करते हैं। अब तक इनसे लगभग 400 किलो प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल** किया जा चुका है। इस सफलता को देखते हुए नटराज चौक, रेलवे स्टेशन और ट्रांजिट कैंप जैसे अन्य स्थानों पर भी प्लास्टिक बैंक स्थापित किए जा रहे हैं।
‘वेस्ट टू वंडर’ पार्क बना आकर्षण का केंद्र
नगर निगम ने अपने परिसर में “वेस्ट टू वंडर” पार्क तैयार किया है, जिसमें पुराने टायर, खराब स्ट्रीट लाइट और साइकिल जैसे वेस्ट मटीरियल का उपयोग कर झूले और सजावटी सामान बनाए गए हैं। इसके अलावा, प्लास्टिक से बनी बेंच, ट्री गार्ड और बैंक बॉक्स जैसी चीजें भी तैयार की जा रही हैं।
महिला समूहों को जोड़ा, कलेक्शन में 4 गुना बढ़ोतरी
नगर निगम ने डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों (त्रिवेणी सेना) को जोड़ा है। पहले, यूजर चार्ज के रूप में केवल 3 लाख रुपये प्रति माह जमा हो पाते थे। अब यह राशि बढ़कर 13 लाख रुपये प्रति माह हो गई है। इस पहल ने लगभग 250 महिलाओं को रोजगार दिया है और उन्हें 25% लाभांश भी प्रदान किया जा रहा है।
सरकार की सराहना और भविष्य की योजना
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्लास्टिक कचरे के कुशल प्रबंधन के लिए ऋषिकेश नगर निगम की सराहना करते हुए अन्य नगर निकायों को ठोस योजनाएं अपनाने का निर्देश दिया है। QR कोड आधारित प्लास्टिक वापसी जैसे नवाचार भी लागू किए जा रहे हैं।
ऋषिकेश नगर निगम का यह मॉडल न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक है, बल्कि रोजगार सृजन और जागरूकता बढ़ाने का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण है।