ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ट्रंप की धमकी से गरमाया माहौल, अमेरिका विरोधी रुख पर 10% अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी
Trump's threat heats up the BRICS summit, warns of 10% additional tariff for anti-American stance

ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में हो रहे ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट कर चेतावनी दी है कि जो देश ब्रिक्स की “अमेरिका विरोधी नीतियों” का समर्थन करेंगे, उन्हें 10% अतिरिक्त टैरिफ झेलना पड़ेगा।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब ब्रिक्स समूह—जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं—अपने सालाना सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था, बहुपक्षीयता और पश्चिमी देशों के प्रभाव पर चर्चा कर रहे हैं। वर्ष 2024 से ब्रिक्स का विस्तार करते हुए मिस्र, ईरान, इंडोनेशिया, यूएई और इथियोपिया जैसे देशों को भी शामिल किया गया है।
ट्रंप का दो टूक संदेश, कोई अपवाद नहीं
अपने बयान में ट्रंप ने स्पष्ट कहा, “ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी सोच से जुड़ने वाला कोई भी देश अतिरिक्त 10% टैरिफ से नहीं बच पाएगा। इसमें किसी के लिए कोई छूट नहीं होगी।” उनके इस रुख से यह स्पष्ट है कि यदि वे पुनः सत्ता में आते हैं, तो ब्रिक्स से जुड़ने वाले देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने में कोई संकोच नहीं करेंगे।
मोदी का आतंकवाद पर सख्त रुख
सम्मेलन में भाग लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक आतंकवाद के बढ़ते खतरे पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा, “यह हमला भारत की आत्मा, पहचान और गरिमा पर सीधा प्रहार था।” उन्होंने इसे पूरी मानवता के खिलाफ अपराध बताया और ब्रिक्स सदस्य देशों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।
शी जिनपिंग की अनुपस्थिति चर्चा में
ब्रिक्स सम्मेलन इस बार एक और कारण से चर्चा में रहा—चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनुपस्थिति। यह पहला मौका है जब वे सत्ता में रहते हुए किसी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए। उनकी जगह चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने प्रतिनिधित्व किया।
ब्रिक्स का बढ़ता प्रभाव
इसकी स्थापना का मकसद था वैश्विक वित्तीय ढांचे में पश्चिमी देशों के वर्चस्व को संतुलित करना। अब नए सदस्य देशों के जुड़ने के बाद इसका प्रभाव और विस्तार बढ़ता जा रहा है। सदस्य देश व्यापार, तकनीक, वित्तीय सुधार और रणनीतिक सहयोग जैसे मुद्दों पर एकसाथ काम कर रहे हैं।
ट्रंप की चेतावनी और पीएम मोदी के सख्त संदेश से स्पष्ट है कि ब्रिक्स अब केवल आर्थिक मंच नहीं, बल्कि एक नई वैश्विक धुरी के रूप में उभर रहा है। अमेरिका और ब्रिक्स के बीच आगामी वर्षों में प्रतिस्पर्धा और अधिक तेज हो सकती है।