उत्तराखंड

गैरसैंण विधानसभा सत्र: धारा 163 लागू, यूकेडी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन थमा

Gairsain Assembly Session: Section 163 implemented, UKD workers' protest stopped

चमोली। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण में सोमवार से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो गया। सत्र को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए जिला प्रशासन ने विधानसभा क्षेत्र के पांच किलोमीटर दायरे में धारा 163 लागू करते हुए धरना-प्रदर्शन और घेराव पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। प्रशासनिक आदेश के चलते उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के कार्यकर्ताओं का प्रस्तावित प्रदर्शन रुक गया, जिससे दल के नेताओं में नाराज़गी देखी जा रही है।


विधानसभा क्षेत्र में सख्त सुरक्षा इंतजाम

सत्र के मद्देनजर दिवालीखाल जंगल चट्टी और शिमला सहित विभिन्न स्थानों पर पुलिस बल की तैनाती की गई है। भारी सुरक्षा व्यवस्था में अर्धसैनिक बल और महिला पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। चमोली के एडिशनल एसपी वीर सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी के आदेशानुसार रविवार शाम से ही क्षेत्र में धारा 163 लागू कर दी गई थी। इसके बाद विधानसभा के पांच किलोमीटर दायरे में किसी भी तरह के धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं है।


यूकेडी की योजना पर पानी फिरा

पहले ही यूकेडी ने ऐलान किया था कि 19 अगस्त को सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव किया जाएगा। गढ़वाल और कुमाऊं से आए सैकड़ों कार्यकर्ता गैरसैंण की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन उन्हें अलग-अलग जगह पुलिस ने रोक दिया। यूकेडी नेता जयदेव सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार लोकतांत्रिक अधिकारों को दबा रही है और आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रही है। उनका कहना था कि यह कार्रवाई पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है और जनता की आवाज़ को दबाने का प्रयास है।


यूकेडी की दो प्रमुख मांगें

कार्यकर्ताओं ने सरकार के सामने दो अहम मांगें रखी हैं। पहली—चमोली जिले के धारली क्षेत्र में आई भीषण आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए। दूसरी—गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी बनाया जाए। कार्यकर्ताओं का कहना है कि आंदोलनकारियों ने लंबे संघर्ष के बाद गैरसैंण को राजधानी का दर्जा दिलाने की नींव रखी थी, लेकिन आज तक इसे केवल ग्रीष्मकालीन राजधानी का नाम दिया गया है।


गैरसैंण पर उठाए सवाल

यूकेडी नेताओं का आरोप है कि आज गैरसैंण केवल “पिकनिक स्पॉट” बनकर रह गया है। उनका कहना है कि कई अधिकारियों को गैरसैंण तक पहुंचने का रास्ता तक मालूम नहीं है। विधानसभा सत्र केवल औपचारिकता के तौर पर यहां आयोजित किया जाता है, जबकि असली मंशा राजधानी बनाने की कभी दिखाई नहीं देती। दल का कहना है कि अगर गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित किया जाए तो यह आंदोलनकारियों के त्याग और बलिदान का सच्चा सम्मान होगा।

भले ही प्रशासनिक सख्ती से यूकेडी का प्रस्तावित घेराव टल गया हो, लेकिन गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग एक बार फिर गरमा गई है। विधानसभा सत्र में इस मुद्दे पर चर्चा भले न हो, परंतु सत्र की गूंज अब आंदोलन की यादों और जनता की अपेक्षाओं से भी जुड़ गई है।

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