उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश का कहर, नदी-नाले उफान पर, मसूरी में रिटेनिंग वॉल गिरी
Torrential rain wreaks havoc in Uttarakhand, rivers and streams in spate, retaining wall collapses in Mussoorie

देहरादून: उत्तराखंड में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के कई जिलों में नदी-नाले उफान पर हैं और जगह-जगह भूस्खलन से मार्ग बाधित हो गए हैं। ग्रामीण और शहरी इलाकों में लोग दहशत के माहौल में जी रहे हैं।
मौसम विभाग का अलर्ट जारी
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में बारिश का सिलसिला थमने वाला नहीं है। विभाग के अनुसार गढ़वाल के अधिकांश जिलों और कुमाऊं के कई हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होगी, जबकि देहरादून, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में कहीं-कहीं भारी वर्षा की संभावना है।
विभाग ने गरज, बिजली और तेज बारिश की आशंका को देखते हुए येलो अलर्ट भी जारी किया है। राजधानी देहरादून में तापमान 24 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है।
मसूरी में रिटेनिंग वॉल गिरी
भारी बारिश का असर मसूरी पर भी साफ दिखा। ‘पहाड़ों की रानी’ कहे जाने वाले इस शहर में सनातन धर्म इंटर कॉलेज की रिटेनिंग वॉल ढह गई। वॉल टूटने से सड़क पर मलबा और बड़े पत्थर फैल गए, जिससे आवाजाही ठप हो गई।
खुशकिस्मती यह रही कि हादसे के समय सड़क पर लोग कम थे, अन्यथा बड़ा नुकसान हो सकता था। घटना से आसपास के लोगों में दहशत फैल गई है।
स्कूल भवन पर खतरे के बादल
स्थानीय निवासियों का कहना है कि कॉलेज का एक हिस्सा अब अस्थिर हो गया है। अगर बारिश जारी रही, तो इमारत का हिस्सा भी गिर सकता है, जिससे छात्रों और स्टाफ की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
यह घटना मसूरी की कमजोर संरचनाओं और शहरी इलाकों की संवेदनशीलता को उजागर करती है।
प्रशासन सक्रिय मोड पर
घटना की जानकारी मिलते ही स्कूल प्रबंधन समिति और नगर पालिका अधिकारी मौके पर पहुंचे। एसडीएम कार्यालय और छावनी परिषद के प्रतिनिधियों ने हालात का निरीक्षण कर तत्काल राहत कार्य शुरू कराने के निर्देश दिए। अधिकारियों ने नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट तैयार करने की बात कही है।
हर साल बरसात में संकट
उत्तराखंड हर मानसून में प्राकृतिक आपदाओं से जूझता है। इस बार भी भारी बारिश से सड़कें और पुल टूट रहे हैं, गांवों का संपर्क बाधित हो रहा है और पहाड़ियों के दरकने से भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है।
राज्य सरकार ने राहत-बचाव कार्य जारी रखने की बात कही है, लेकिन प्रभावित लोग अब भी कई बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
चिंताजनक सवाल
मसूरी की घटना और पहाड़ी जिलों में तबाही ने फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या राज्य ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए पर्याप्त तैयार है। अगर बारिश का सिलसिला इसी तरह जारी रहा, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।