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उत्तराखंड के जंगलों पर खतरा: वन विभाग की लापरवाही से वर्किंग प्लान अधर में

Threat to Uttarakhand's forests: Working plan in limbo due to Forest Department's negligence

उत्तराखंड वनाग्नि मामलों में नंबर 1, जंगलों के हालात चिंताजनक

भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 के अनुसार, उत्तराखंड अब जंगल की आग के मामले में देश में पहले स्थान पर आ गया है। वन संरक्षण और संवर्धन के लिए बनाए जाने वाले वर्किंग प्लान पर सही तरीके से काम न होने से हालात और खराब हो रहे हैं।

वर्किंग प्लान: जंगलों के भविष्य के लिए अहम दस्तावेज

वन विभाग जंगलों की सेहत सुधारने के लिए 10 साल की कार्ययोजना (वर्किंग प्लान) तैयार करता है, जिसमें मिट्टी, नमी, कार्बन स्तर, वनस्पति और जंगलों की स्थिति का अध्ययन किया जाता है। लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते यह प्लान अधर में लटका हुआ है।

तराई के जंगलों के लिए वर्किंग प्लान अधर में

उत्तराखंड के तराई मध्य और तराई पश्चिम क्षेत्र के वनों के लिए दिसंबर 2023 में वर्किंग प्लान की शुरुआत हुई थी, लेकिन अब तक फील्ड सर्वे तक नहीं हो सका। निर्धारित समय सीमा ढाई साल थी, लेकिन अब केवल 8-9 महीने बचे हैं, जिससे प्लान तैयार होना नामुमकिन लग रहा है।

वर्किंग प्लान में देरी के कारण

  • अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी: जरूरी पदों पर तैनाती नहीं हो पाई है।
  • फील्ड सर्वे का अभाव: किसी भी वर्किंग प्लान के लिए 300-400 प्वाइंट्स पर जाकर सर्वे करना होता है, लेकिन यह काम शुरू नहीं हुआ।
  • अधिकारियों की अनिच्छा: फील्ड वर्क और दस्तावेजीकरण की मेहनत के चलते अधिकारी इस काम से बचना चाहते हैं।

वन विभाग की प्रतिक्रिया

प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) धनंजय मोहन ने कहा कि “प्रत्येक अधिकारी की अपनी पसंद होती है, लेकिन जिसकी भी तैनाती होगी, उसे यह काम अनिवार्य रूप से करना होगा।” उन्होंने स्वीकार किया कि कोरोना काल में सर्वे कार्य बाधित हुआ था, लेकिन अब तेजी से काम किया जा रहा है।

वन संरक्षण के लिए सख्त कदम जरूरी

उत्तराखंड के वनों को बचाने के लिए वन विभाग को सख्ती बरतने की जरूरत है। वर्किंग प्लान को प्राथमिकता देकर इसके लिए अलग से अधिकारी और कर्मचारियों की तैनाती जरूरी है। अन्यथा, जंगलों की स्थिति और बिगड़ सकती है, जिससे वन्यजीवों और पर्यावरण को गंभीर खतरा हो सकता है।

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